आँखों की बीनाई जैसा
वो चेहरा पुरवाई जैसा.
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तेरा होना क्यूँ लगता है
गर्मी में अमराई जैसा.
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तेरे प्यार में तर होने दे
मुझ को माह-ए-जुलाई जैसा.
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जोबन आया है, फिसलोगे
ये रस्ता है काई जैसा.
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साथ हैं हम बस कहने भर को
दूध हूँ मैं वो मलाई जैसा.
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जाते जाते उस का बोसा
जुर्म के बाद सफ़ाई जैसा.
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ज़ह’न है मानों शह्र का एसपी
और ये दिल बलवाई जैसा.
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तेरा आना पल दो पल को
सरकारी भरपाई जैसा.
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धागे ज़ख़्मों के उधड़े हैं
कर दो कुछ तुरपाई जैसा.
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मौलिक/ अप्रकाशित
Nilesh Shevgaonkar
धन्यवाद आ. अजय जी
May 15
Ravi Shukla
वाह वाह आदरणीय नीलेश जी उम्दा अशआर कहें मुबारक बाद कुबूल करें । हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से साम्य मुझे कुछ असहज उपमा लगी ।
जाते जाते उस का बोसा
जुर्म के बाद सफ़ाई जैसा.
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ज़ह’न है मानों शह्र का एसपी
और ये दिल बलवाई जैसा.
ये दोनो शेर ब तौरे ख़ास पसदं आये ज़हन एस पी और दिल बलवाई क्या कहने नयी सोच नया ख़याल बहुत खुब
May 15
Nilesh Shevgaonkar
धन्यवाद आ. रवि शुक्ला जी.
//हालांकि चेहरा पुरवाई जैसा मे ंअहसास को मूर्त रूप से साम्य मुझे कुछ असहज उपमा लगी । //
सर! थोडा वक़्त मेरे जैसे बदचलन के साथ बिताइए..आपको भी चेहरों में पुरवाई का आभास होने लगेगा 😂😂😂
आभार
May 15