दोहा पंचक. . . . .दीपावली

दोहा पंचक. . . . . . दीपावली

दीप जले हर द्वार पर, जग में हो उजियार  ।
आपस के सद्भाव से, रोशन हो संसार ।।

एक दीप इस द्वार पर,एक पास के द्वार ।
आपस के यह प्रेम ही, हरता हर अँधियार ।।

जले दीप से दीप तो, प्रेम बढ़े हर द्वार  ।
भेद भाव सब दूर हों , खुशियाँ मिलें अपार ।।

माँ लक्ष्मी का कीजिए, पूजन संग गणेश ।
सुख समृद्धि बढ़ती सदा, मिटते सभी कलेश ।

लाल चुनरिया पहन कर, मैया आई द्वार ।
पूजित कर हर्षित हुआ, पूरा घर परिवार ।।

सुशील सरना / 20-10-25

मौलिक एवं अप्रकाशित