by Sushil Sarna
on Monday
दोहा पंचक. . . . . . दीपावली
दीप जले हर द्वार पर, जग में हो उजियार । आपस के सद्भाव से, रोशन हो संसार ।।
एक दीप इस द्वार पर,एक पास के द्वार । आपस के यह प्रेम ही, हरता हर अँधियार ।।
जले दीप से दीप तो, प्रेम बढ़े हर द्वार । भेद भाव सब दूर हों , खुशियाँ मिलें अपार ।।
माँ लक्ष्मी का कीजिए, पूजन संग गणेश । सुख समृद्धि बढ़ती सदा, मिटते सभी कलेश ।
लाल चुनरिया पहन कर, मैया आई द्वार । पूजित कर हर्षित हुआ, पूरा घर परिवार ।।
सुशील सरना / 20-10-25
मौलिक एवं अप्रकाशित
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दोहा पंचक. . . . .दीपावली
by Sushil Sarna
on Monday
दोहा पंचक. . . . . . दीपावली
दीप जले हर द्वार पर, जग में हो उजियार ।
आपस के सद्भाव से, रोशन हो संसार ।।
एक दीप इस द्वार पर,एक पास के द्वार ।
आपस के यह प्रेम ही, हरता हर अँधियार ।।
जले दीप से दीप तो, प्रेम बढ़े हर द्वार ।
भेद भाव सब दूर हों , खुशियाँ मिलें अपार ।।
माँ लक्ष्मी का कीजिए, पूजन संग गणेश ।
सुख समृद्धि बढ़ती सदा, मिटते सभी कलेश ।
लाल चुनरिया पहन कर, मैया आई द्वार ।
पूजित कर हर्षित हुआ, पूरा घर परिवार ।।
सुशील सरना / 20-10-25
मौलिक एवं अप्रकाशित