“मीत मन से मन मिला तू और स्वर से स्वर मिला,”
कर लिया यह कर्म जिस ने उस को ही ईश्वर मिला.
कांच की कारीगरी में जो निपुण थे साथियों,
आजकल उन के ही हाथों में हमें पत्थर मिला.
पेट भर रोटी मिली जब भूखे बच्चों को हुज़ूर,
सब कठिन प्रश्नों का उन को इक सरल उत्तर मिला.
चापलूसी की कला में जो है जितना ही चतुर,
जग में उस को उतना ही सम्मान और आदर मिला.
यह पुरातन सत्य है कि वानर की हैं संतान हम,
आज मानव रूप में भी हम को वही बन्दर मिला.
प्रेम का आश्रम सजाने के लिए आ श्रम करें,
ऐसे कर्मों का जगत में फल भी सदा सुन्दर मिला.
एक प्यारी सी ग़ज़ल बन ही गयी इस पँक्ति से ,
बहर भी है ख़ूबसूरत क़ाफ़िया सुन्दर मिला.
मन में रामायण सा ही वो बस गया है ऐ ‘लतीफ़’
यूं सतत् पावन पठन का उम्र भर अवसर मिला.
©अब्दुल लतीफ़ ख़ान (दल्ली राजहरा).
ajay sharma
sir,,,,yadi gitika ki 9th pankti me """"yah puratan satya hai , vanar ki hai santaan ham
aaj manav roop me , humko vahi bandar mila ''' ho jaye to
zyada achcha laga ....................tathapi ,,,,rachana nihsandeh bahut achhi hai
Oct 15, 2012
ajay sharma
जग में उस को उतना ही सम्मान और आदर मिला.
यह पुरातन सत्य है कि वानर की हैं संतान हम,
आज मानव रूप में हम को , वही बन्दर मिला.
प्रेम का आश्रम सजाने के लिए आ श्रम करें,
ऐसे कर्मों का जगत में फल सदा सुन्दर मिला.
एक प्यारी सी ग़ज़ल बन ही गयी इस पँक्ति से ,
बहर भी है ख़ूबसूरत क़ाफ़िया सुन्दर मिला. bahut sunder
मन में रामायण सा ही वो बस गया है ऐ ‘लतीफ़’
यूं सतत् पावन पठन का उम्र भर अवसर मिला. qabil e daad hain
nice sharing
Oct 15, 2012
वीनस केसरी
वाह लतीफ़ खान साहिब
क्या बेहतरीन ग़ज़ल कही है
दिल से ढेरो दाद निकल रही है
वाह वाह वा
इस जमीं पर ही अभी कुछ दिन पहले सौ ग़ज़लें पढ़ने का सुख प्राप्त हुआ है आज १०१ हो गई :)))
Oct 15, 2012
satish mapatpuri
पेट भर रोटी मिली जब भूखे बच्चों को हुज़ूर,
सब कठिन प्रश्नों का उन को इक सरल उत्तर मिला.
यह पुरातन सत्य है कि वानर की हैं संतान हम,
आज मानव रूप में भी हम को वही बन्दर मिला.
सुभान अल्लाह ...... ग़ज़ल के हर शे ' र तारीफ़ के काबिल हैं . खुबसूरत ख़याल ..... दाद कुबूल फरमाएं लतीफ़ साहेब .
Oct 15, 2012
लक्ष्मण रामानुज लडीवाला
प्रेम का आश्रम सजाने के लिए आ श्रम करें,
ऐसे कर्मों का जगत में फल भी सदा सुन्दर मिला.
एक प्यारी सी ग़ज़ल बन ही गयी इस पँक्ति से ,
बहर भी है ख़ूबसूरत क़ाफ़िया सुन्दर मिला.
Oct 16, 2012
रविकर
वाह भाई वाह |
मजेदार ||
बधाई स्वीकारें , आदरणीय ||
Oct 16, 2012
AVINASH S BAGDE
चापलूसी की कला में जो है जितना ही चतुर,
जग में उस को उतना ही सम्मान और आदर मिला.
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कर लिया यह कर्म जिस ने उस को ही ईश्वर मिला.
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प्रेम का आश्रम सजाने के लिए आ श्रम करें,
वाह |लतीफ़ खान साहिब !!
Oct 16, 2012
SANDEEP KUMAR PATEL
आदरणीय लतीफ़ खान साहब सादर प्रणाम
वाह वाह वा
क्या बात है इक इक शेर शानदार है
बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है सर जी
दाद पे दाद क़ुबूल कीजिये
Oct 16, 2012
Ashok Kumar Raktale
“मीत मन से मन मिला तू और स्वर से स्वर मिला,”
कर लिया यह कर्म जिस ने उस को ही ईश्वर मिला.
बहुत सुन्दर मतला और दाद के काबिल हर शेर, सुन्दर गजल पर बधाई स्वीकार करें आद. अब्दुल लतीफ़ खान साहब.
Oct 17, 2012
लतीफ़ ख़ान
श्री अरुण कुमार निगम जी ,तरही ग़ज़ल में आप की कोशिश बहुत ही शानदार है। कोशिश करते रहिये ,कोशिशें अक्सर कामयाब होती हैं। सौरभ जी ने जो मशविरा दिया है एकदम सही है।उन के सुझाव अनुसार कार्य कीजिए ,सफलता की मंजिल दूर नहीं।।।।बधाई ...
Nov 7, 2012
लतीफ़ ख़ान
शिखा कौशिक नूतन जी,,, उम्दा अशआर केलिए बधाई,, नारी शक्ति पर शशक्त रचना।
Nov 7, 2012
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
इस सुन्दर और सुगढ़ प्रस्तुति को मैं आज देख पा रहा हूँ. खेद है.
ग़ज़ल की प्रस्तुति में बहुत ही संयत प्रयास हुआ है.
कांच की कारीगरी में जो निपुण थे साथियों,
आजकल उन के ही हाथों में हमें पत्थर मिला.
पेट भर रोटी मिली जब भूखे बच्चों को हुज़ूर,
सब कठिन प्रश्नों का उन को इक सरल उत्तर मिला.
इन दो अश’आर के लिये हृदय से बधाई स्वीकार करें, लतीफ़ भाई. आपकी रचनाओं की प्रतीक्षा रहती है, फिर भी यह विशिष्ट ग़ज़ल अबतक छूट रही थी.
सादर
Nov 7, 2012