कड़ाके की सर्दी में सर्दी-बुख़ार से पीड़ित गर्भवती औरत कम्बल ओढ़े हुए ज़ोर-ज़ोर से कराह रही थी। रेलवे स्टेशन की टिकट खिड़की के पास ही एक कोने में अपने पति के साथ वह देर रात से बैठी हुई थी ।
"क्यों रे , अपनी लुगाई को सरकारी अस्पताल क्यों नहीं ले जा रहा, रात भर से कराह रही है। अब तो ऑटो- रिक्शा भी मिल जायेगा !"- एक कैन्टीन वाला दूर से ही चिल्लाकर बोला । पति खड़े होकर इधर उधर देखने लगा, फिर ठिठुरते हुए वापस अपनी जगह पर बैठ गया । औरत लगातार कराह रही थी। उसने इशारों से पति को परेशान न होने को कहा । कुछ ही पलों में पति की गहरी नींद लग गयी । पत्नी के अन्दर की औरत जागी । उसने अपने कम्बल से पति
को भली भाँति ढांक दिया और वापस अपनी जगह पर जाकर बैठ गई। पतली सी पुरानी साड़ी का पल्लू समेटती हुई वह फिर से ज़ोर-ज़ोर से कराहने लगी । कुछ ही देर में कूं-कूं की आवाज़ करता हुआ एक कुत्ता ठिठुरता हुआ सा पति के नज़दीक आया और कम्बल के नीचे छिप गया ।
टिकट खिड़की पर एक आधुनिक सी शिक्षित महिला उस औरत से कुछ कहने के लिए आगे बढ़ी तो उसके पति ने इशारा करके उसे रोक कर टिकट खिड़की पर ही खड़े रहने को कहा ।
वह औरत अब भी ज़ोर-ज़ोर से कराह रही थी। उसके पति की खर्राटों की आवाज़ें सुनाई दे रही थीं। कुत्ता कम्बल के नीचे ही छिपा सो रहा था।
(मौलिक व अप्रकाशित)
त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी । समालोचना कर के कृपया विस्तार से मार्गदर्शन प्रदान करियेगा । सादर
संवेदनहीन पति और पत्नि का विशाल ह्रदयी होना आहत करता है।पर सुशिक्षित महिला का यूँ चुप लगा जाना भी सालता है।इतनी तो संवेदनायें हम में होनी ही चाहिये कि हम थोड़ी तो मदद करें सोचने के विवश करती कथा पर बधाई आपको आद०शेख शहज़ाद उस्मानी जी ।
अपना अमूल्य समय देकर समीक्षात्मक टिप्पणियों से मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीया नीता कसार जी, आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, आदरणीय तस्दीक़ अहमद ख़ान साहब व आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी ।
डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
देसी औरत के चरित्र को बड़े ढंग से उभारा आपने आदरणीय -----------पर हाय देसीमर्द !
Dec 29, 2015
Sheikh Shahzad Usmani
Dec 29, 2015
Nita Kasar
Dec 29, 2015
Tasdiq Ahmed Khan
जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब , देसी औरत के कर्तव्य का अच्छा चित्रण किया है ...... बेहतर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
Dec 29, 2015
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
शीर्षक को परिभाषित करती अच्छी लघु कथा लिखी है आपने यही तो विडम्बना है हमारे देश की जहाँ औरत पति को भगवान् मानती है पर पति ??हार्दिक बधाई आपको
Dec 29, 2015
Dr Ashutosh Mishra
आदरणीय शेख उस्मानी जी ..भारतीय नारी के दिल की करुना और उदारता को दर्शाती शानदार लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई ..सादर
Dec 30, 2015
Sheikh Shahzad Usmani
Dec 30, 2015