(१) दुर्मिल सवैया ....करुणाकर राम
करुणाकर राम प्रणाम तुम्हें, तुम दिव्य प्रभाकर के अरूणा.
अरुणाचल प्रज्ञ विदेह गुणी, शिव विष्णु सुरेश तुम्हीं वरुणा.
वरुणा क्षर - अक्षर प्राण लिये, चुनती शुभ कुम्भ अमी तरुणा.
तरुणा नद सिंधु मही दुखिया, प्रभु राम कृपालु करो करुणा.
(२) किरीट सवैया ...अनुप्राणित वृक्ष
कल्प अकल्प विकल्प कहे तरु, पल्लव एक विशेष सहायक.
तुष्ट करें वन-बाग नमी -जल विंदु समस्त विशेष विधायक.
वायु धरा नभ अग्नि परा, परमाणु अशेष विशेष विनायक.
ब्रह्म अगोचर शक्ति लिये, अनुप्राणित वृक्ष विशेष प्रदायक.
मौलिक व अप्रकाशित
रचनाकार....केवल प्रसाद सत्यम
केवल प्रसाद 'सत्यम'
आ० रक्ताले भाई जी, सादर प्रणाम! आपका रचना पर उत्साहवर्धन हेतु तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार.
Jun 10, 2016
रामबली गुप्ता
Jun 11, 2016
केवल प्रसाद 'सत्यम'
आ० रामबली भाई जी, प्रणाम! आपका तहेदिल से शुक्रिया व हार्दिक आभार. सादर
Jun 12, 2016