आस्था (लघु कथा)

संतों तक को झूठी रिपोर्ट के आधार पर गिरफ्तार कर सरकार अच्छा नहीं कर रही | देश विदेश में लाखों अनुयायी किसी के ऐसे ही बनते | मेरे घर से अपनी बहन के साथ इनके आश्रम में 15 दिन रहकर आई है | चेलों का बड़ा ख्याल रखा जाता है | नियमित व्याखान और पूजा पाठ चलता रहता है | बहुत पहुँचे हुए संत है, मैंने भी पुष्कर में इनके प्रवचन सुने है |

पाठक जी बोले - ये सब तो ठीक है ओझा जी, पर इनके खिलाफ अश्लील कारनामे और महिलाओं के साथ लिप्त पाए जाने के पुख्ता सबूत के आधार पर ही गिरफ्तार किया है | कई शहरों में इनके विरुद्ध ऍफ़ आई आर दर्ज हो रही है | ये पाक साफ़ है तो क्या सभी जगह झूठी शिकायते दर्ज हुई है क्या ? जब इनके बारे में जानकारी से तो पता चलता है कि ये दस नम्बरी रहे है | अब कुछ धार्मिक पोथियाँ पढ़कर. तिलक छापें लगाकर प्रवर्चन करते करते प्रसिद्द हो गए तो जनता में अँध भक्तो की कमी थोड़े ही है, जो इनको भगवान मानने लग गए | भोली भाली जनता को जरासा करिश्मा दिखाकर अरबो रूपये की संपत्ति बनाने वाले संत असली संत नहीं हो सकते | 
       ओझा जी ने कहाँ,- पाठक जी, जब मर्डर करने वाले ही जमानत पर छूट जाते है तो लाखो अनुयायियों की भावनाओं को देखते हुए इन्हें जमानत नहीं मिलनी ही चाहिए क्या ?

ओझा साहब, अगर ये पाक साफ़ और पहुँचे हुए सच्चे संत होते तो बिमारी के बहाने जमानत चाहने और अनुयायियों से हंगामा करवाने जैसे कार्य नहीं करवाते | और फिर देश के नामी वकीलों को लाखो रूपये फीस देकर भी जमानत नहीं करा पाए और सुप्रीम कोर्ट तक से इनकी कई बार जमानत की अर्जी खारिज हो चुकी है |   न जाने कितनों की जिन्दगी के साथ इन्होने खिलवाड़ किया है | ऐसे झूठे और पाखंडी संतो से ही धर्म के प्रति आस्था में कमी आती है | अब इनके अनुयायियों की संख्या भी काफी कम हो गई है और निरंतर घटती जा रही है | कोर्ट के प्रति अविश्वास जताना उचित नहीं है |

 

        इस जैसे संतों से है जनता की संतों के प्रति आस्था डगमगाती है और जब तक ये पाक साफ़ सिद्ध नहीं हो जाते किसी को इनके प्रति प्रेरित करना ठीक नहीं होगा | ये  सुनकर ओझा जी निरुत्तर हो गए |

 

(मौलिक व् अप्रकाशित)

  • नाथ सोनांचली

    आद0 लक्ष्मण रामानुज जी सादर अभिवादन। समाज में बेतरीब ढंग से फैले तथा कथित स्वव्म्भू बाबाओं को आधार बनाकर लिखी गयी उम्दा लघुकथा के लिए बधाई। वस्तुतः यह लघुकथा दो व्यक्ति के बीच के तर्क तक ही सीमित हो गयी। फिर भी अपनी बात कहने में सफल रहे आप।
  • Mohammed Arif

    आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जी आदाब, आजकल में धर्म की आड़ में गाजर घास और कुकुर मुत्तों की तरह पाखंडी पैदा हो गये हैं ग़लत क्रिया कलाप में संलिप्त है । अच्छी लघुकथा । बधाई स्वीकार करें ।
  • लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

     लघु कथा सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री सुरेन्द्र नाथ कुश्क्षत्रय जी 

  • लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

    बहुत बहुत आभार आपका श्री मोहम्मद आरिफ साहब 

  • Mahendra Kumar

    आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जी, आपने लघुकथा में बढ़िया विषय उठाया है किन्तु संवादों का विस्तार कुछ ज़्यादा हो गया। साथ ही संवादों को कोटेशन मार्क के अंदर रखें तो स्पष्टता और बढ़ जाएगी। बाकी लघुकथा बढ़िया है। मेरी ओर से हार्दिक बधाई। सादर।
  • Nita Kasar

    एेसे पाखण्डी संत से जनता को जागरूक करना आवश्यक है,कथानक बहुत उम्दा है।संदेशप्रद कथा के लिये बधाई आद०लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला जी ।
  • लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

    लघु कथा पर आपकी सराहना और सुझाव के लिए हार्दिक आभार स्वीकारे श्री महेंद्र कुमार जी