परम आत्मीय स्वजन,
ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 172 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा जनाब 'असअ'द' बदायूनी साहिब की ग़ज़ल से लिया गया है |
'तमाम उम्र मुझे डूबना उभरना है'
मुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन/फ़इलुन
1212 1122 1212 22/112
मुज्तस मुसम्मन मख़्बून महज़ूफ़ मुसक्किन
रदीफ़ --है
क़ाफ़िया:-(अरना की तुक) मरना, करना,धरना,उतरना,गुज़रना आदि ।
मुशायरे की अवधि केवल दो दिन होगी । मुशायरे की शुरुआत दिनांक 25 अक्टूबर दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 26 अक्टूबर दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.
नियम एवं शर्तें:-
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।
विशेष अनुरोध:-
सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें |
मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....
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मंच संचालक
जनाब समर कबीर
(वरिष्ठ सदस्य)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
Richa Yadav
1212 1122 1212 22
किसान बैठे हैं कब से शुरू ये धरना है
लड़ेंगे हक़ के लिए वो उन्हें न डरना है 1
है गूँगी बहरी नहीं सोचती किसी के लिए
करेगी उतना ही सरकार को जो करना है 2
सलीक़ा मुझको ये समझा रहा है रख हिम्मत
किसी भी हाल में हद से नहीं गुजरना है 3
जो आज झाड़ पे चढ़कर लगे हैं इतराने
है सच यही कि उन्हें एक दिन उतरना है 4
किसी के वास्ते मत ज़िन्दगी करो बर्बाद
जो चाहते हैं तुम्हें उनकी फ़िक्र-करना है 5
दिखी जो मुझको महब्बत निगाह में तेरी
उसी के वास्ते दिल चाहता सँवरना है 6
ग़ज़ल "रिया" ने जो महफ़िल में पेश की है आज
सुख़नवरों के दिलों में उसे उतरना है 7
गिरह --
मिज़ाज़ मेरा रहा है हमेशा सूरज सा
"तमाम उम्र मुझे डूबना उभरना है"
"मौलिक व अप्रकाशित"
Oct 25
Sanjay Shukla
1212 1122 1212 22
ख़ुद अपनी प्यास का यूँ इंतिज़ाम करना है
चला के पम्प हमें टंकियों को भरना है /1
वो और हैं जो नज़र आसमाँ पे रखते हैं
हमें तो मकड़ी के जालों को साफ़ करना है /2
तुम्हारे पास है तो ओहदा है और रुत्बा भी
हमारे पास प्रदर्शन है और धरना है /3
लगा हुआ है ये नोटिस हमारे दफ़्तर में
कि किस को रोब दिखाना है किस से डरना है /4
नियम सफ़र के मुबारक हों आप जैसों को
मैं चेन खींचता हूँ जिस जगह उतरना है /5
वो इंतिज़ार तो यमराज को भी करवा दें
कुछ और देर उन्हें सजना और सँवरना है /6
हमें तो कोई तरल ऑक्सिजन में डाल ही दे
न हम को जीना है यारो न हमको मरना है /7
यकीँ है 'तल्ख़' को ज्वालामुखी वहीं होगा
जहाँ भी झील है परबत है और झरना है /8
(मौलिक एवम अप्रकाशित)
Oct 25
Rachna Bhatia
1212 1122 1212 22
1
तुम्हारे दिल में मुझे इस तरह उतरना है
ग़ज़ल की शक्ल मेंइज़हार-ए-इश्क़ करना है
2
डरे हुए हों जहाँ फूल बाग़बान कली
बहार बन के मुझे उस जगह ठहरना है
3
हर एक साँस पे मैं जिस का नाम लिखती हूँ
उसी से अब मुझे जीवन में रंग भरना है
4
मैं ज़िन्दगी के समुंदर में एक कश्ती हूँ
“तमाम उम्र मुझे डूबना उभरना है”
5
सुहानी शाम हूँ मै और वो चहकती सहर
उदास अर्श में ख़ुश रंग हमने भरना है
6
मेरी ये बात बिठा लो दिल ओ दिमाग में तुम
डराना है न किसी को न ख़ुद ही डरना है
7
उदास वादियो खोलो तो दिल की खिड़की तुम
वहाँ भी इश्क़ महब्बत का बहता झरना है
8
बदलने होंगे ख़यालात और नज़रिय्ये
जो खुल के अर्श प “निर्मल” तुझे विच
रना है
मौलिक व अप्रकाशित
Oct 25