38 members
Description
by बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
Apr 26, 2021
हेली गीत "परदेशाँ जाय बैठ्या"
परदेशाँ जाय बैठ्या बालमजी म्हारी हेली!ओळ्यूँ आवै सारी रात।हिया मँ उमड़ै काली कलायण म्हारी हेली!बरसै नैणां स्यूँ बरसात।।
मनड़ा रो मोर करै पिऊ पिऊ म्हारी हेली!पिया मेघा ने दे पुकार।सूखी पड्योरी बेल सींचो ये म्हारी हेली!कर नेहाँ रे मेह री फुहार।।
आखा तीजड़ गई सावण भी सूखो म्हारी हेली!दिवाली घर ल्याई सून।कटणो घणो है दोरो वैरी सियालो म्हारी हेली!तनड़ो बिंधैगी पौ री पून।।
गिण गिण दिवस काटूँ राताँ यादां मँ म्हारी हेली!हिवड़ै में बळरी है आग।सुणा दे संदेशो सैंया आवण रो म्हारी हेली!जगा दे सोया म्हारा भाग।।
मौलिक व अप्रकाशित
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राजस्थानी साहित्य
38 members
Description
हेली गीत "परदेशाँ जाय बैठ्या"
by बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
Apr 26, 2021
हेली गीत "परदेशाँ जाय बैठ्या"
परदेशाँ जाय बैठ्या बालमजी म्हारी हेली!
ओळ्यूँ आवै सारी रात।
हिया मँ उमड़ै काली कलायण म्हारी हेली!
बरसै नैणां स्यूँ बरसात।।
मनड़ा रो मोर करै पिऊ पिऊ म्हारी हेली!
पिया मेघा ने दे पुकार।
सूखी पड्योरी बेल सींचो ये म्हारी हेली!
कर नेहाँ रे मेह री फुहार।।
आखा तीजड़ गई सावण भी सूखो म्हारी हेली!
दिवाली घर ल्याई सून।
कटणो घणो है दोरो वैरी सियालो म्हारी हेली!
तनड़ो बिंधैगी पौ री पून।।
गिण गिण दिवस काटूँ राताँ यादां मँ म्हारी हेली!
हिवड़ै में बळरी है आग।
सुणा दे संदेशो सैंया आवण रो म्हारी हेली!
जगा दे सोया म्हारा भाग।।
मौलिक व अप्रकाशित