फिल्मो की बाते

सुल्तान मिर्ज़ा ही सब कुछ है

आज फिल्म वन्स उपौन आ टाइम इन मुंबई दर्शकों के सामने पर्दे पर आई है.फिल्म का निर्देशन अच्छा है,मिलन लूथरिया के द्वारा ये1970-80 के अंडरवर्ल्ड के उपर रखकर बनाई गयी कहानी है,फिल्म मे डाइलॉग डेलिवरी अच्छी है,म्यूज़िक थोड़ी मिलावटी लगी,अजय देवगन और कंगना रानौत की जोड़ी अच्छी है,सुल्तान मिर्ज़ा के रोल मे अजय ने एक अलग ही छाप छोड़ी है,इसमे इमरान ने थोड़ा निराश किया,वो इस रोल मे पूरी तरह फिट नही बैठ रहे थे, इमरान अजय देवगन के मजबूत और दृढ़ एक्टिंग के आगे फीके पड़ते दिखाई दिए,प्राची देसाई की एक्टिंग मे निखार दिखा,उनकी टाइमिंग बिल्कुल सही समय पर रही,रणदीप हुड्डा ने एक्टिंग से प्रभावित किया है,गौहर ख़ान ने अपने आइटम नंबर पर खूब तालियाँ बटोरी,उनकी सेक्सी छवि शायद आगे उन्हे फिल्म दिला दे,फिल्म के गाने अच्छे लगे ,प्रीतम का संगीत अच्छा है,मगर बॅकग्राउंड म्यूज़िक मे भी मिलावटीपन नज़र आया, कुल मिलाकर फिल्म देखने लायक है,दर्शकों के मनोरंजन के आसार दिखते नज़र आ रहे हैं,मगर एक बात ख़टकती है,वो ये है की आख़िर क्या सिर्फ़ अब दिखाने को हमारे पास अंडॅर्वर्ल्ड की दुनिया ही रह गयी है?,क्या हमारे पास एक अच्छे पटकथा लेखक की कमी पड़ गई है ?,फिल्म का अंत भी कुछ खास समझ मे नही आता है. वो कौन है जो आज भी विदेश मे रहकर मुंबई पर राज कर रहा है?,लोगों को इससे अच्छा मैसेज नही जाता,अगर आप सिर्फ़ मनोरंजन के नज़रिए से फिल्म देखने जाते हैं तब तो ठीक है,मगर कोई मैसेज ढूँढने की कोशिश करना बेमानी होगी,मेरे हिसाब से इस फिल्म को***1/2,आपकी बहुमुल्य राय क्या है?
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    मुख्य प्रबंधक

    Er. Ganesh Jee "Bagi"

    अभिषेक जी आपने तो बहुत बढ़िया से फिल्म का चीर-फाड़ किया है, बढ़िया समीक्षा लिखे है , आगे भी आप समीक्षा करते रहे , मुझे लगता है कि आप अच्छे फ़िल्म समीक्षक बन सकते है , धन्यवाद,
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