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"पंजाबी साहित्य"(ਪੰਜਾਬੀ ਸਾਹਿਤ)
26 members
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यहाँ पर पंजाबी साहित्य की रचनाओं को लिखा जा सकता है |
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कैहं नी लगांदे
by
Deepak Sharma Kuluvi
Oct 9, 2012
कैहं नी लगांदे
लाड़ी ग्लांदी चला वो सारे गंगा नौहई औईए
सारे मिलिके पापी महापापी रावणे जो फूकी
औईए
देया करड़ा है मरदा नी मड़ा हर साल जन्म लेई लैंदा
साड़े गरीब मुल्खे दा करोडाँ दा खर्चा कराई दिंदा
असां भी पागल चलेयो रैहंदे तिस्जो ईयाँ ही फूकणा
कंगाल होई जाणा असां सारेयां ताँ तिस्दा क्या मुक़णा
जितणा पैसा असां रावणे दे पुतले बनाणे यो लगांदे
तिस पैसे यो बचाईके विकासे दे कम्में च कैहं नी लगांदे
दीपक कुल्लुवी
९/१०/१८
9350078399
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"पंजाबी साहित्य"(ਪੰਜਾਬੀ ਸਾਹਿਤ)
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कैहं नी लगांदे
by Deepak Sharma Kuluvi
Oct 9, 2012