ganesha bhai hum umr me aapse kafi chote hai aap sirf aleem kahkar mukhatib kare to achcha lagega bhai plzzz na kahakar sharminda na kre aur ghazal to hum likhte rahenge agar aap sabhi ki duyein aise milti rahi shukriya ...dil se
गणेश भैया ..व आप सभी साथियों के लिए आभार में मेरे पास शब्दों की कमी है ..समझ नहीं आता कि आ लोगों का शुक्रिया कैसे अदा करूँ ..अपनी पुस्तक से चार पंक्तियाँ आप सभी महानुभवों को नज़र करती हूं..
समंदर के सामने कतरे को खड़ा कर दिया
हौसला मेरा छोटा था उसें बड़ा कर दिया
आपके रहमो करम का शुक्रिया कैसे अदा करूँ
मैंने थोड़ा माँगा आपने बड़ा चड़ा कर दिया.
Ganesh ji mere koi bhai hee nahee hai aap ne to mera bahut maan kiya itna bda karj chka paaungee ya nahee pata nahee ..sach kahun mera man bhar aaya hai ,..!bhgwaan se prarthna hai ye rishta umr bhar nibha sakun ..!
santosh samrat
Mar 10, 2010
santosh samrat
Mar 10, 2010
PREETAM TIWARY(PREET)
Mar 17, 2010
Raju
Mar 30, 2010
sushmit singh
Apr 15, 2010
Chhavi Chaurasia
Apr 15, 2010
aleem azmi
Apr 15, 2010
PREETAM TIWARY(PREET)
Apr 26, 2010
asha pandey ojha
समंदर के सामने कतरे को खड़ा कर दिया
हौसला मेरा छोटा था उसें बड़ा कर दिया
आपके रहमो करम का शुक्रिया कैसे अदा करूँ
मैंने थोड़ा माँगा आपने बड़ा चड़ा कर दिया.
Apr 29, 2010
Admin
May 1, 2010
asha pandey ojha
May 3, 2010
asha pandey ojha
May 3, 2010
asha pandey ojha
May 3, 2010
SUMAN KUMAR SINGH
May 4, 2010
PREETAM TIWARY(PREET)
May 4, 2010
asha pandey ojha
बस एक माँ है जो कभी खफ़ा नहीं होती।
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
माँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।
मैंने रोते हुए पोछे थे किसी दिन आँसू
मुद्दतों माँ ने नहीं धोया दुप्पट्टा अपना।
अभी ज़िंदा है माँ मेरी, मुझे कुछ भी नहीं होगा,
मैं घर से जब निकलता हूँ दुआ भी साथ चलती है।
जब भी कश्ती मेरी सैलाब में आ जाती है,
माँ दुआ करती हुई ख्वाब में आ जाती है।
ऐ अंधेरे देख ले मुंह तेरा काला हो गया,
माँ ने आँखें खोल दी घर में उजाला हो गया।
मेरी ख़्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊं
मां से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ।
मुनव्वर‘ माँ के आगे यूँ कभी खुलकर नहीं रोना
जहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती
) MUNNAVAR RANA (
May 9, 2010