moin sahab assalam-o-alaikum
masarrat ki baat hai k aapne mujhe frien list me to shaamil ker liya hai maagar naacheez ki shayri per apne ta-assuraat pesh nahi kiye abhi tak
bhai mai wazirganj zila budaun se belong kerta hu basically aur zauq wazirganjvi sahab ka farzand hu is waqt delhi me hu
aapke yaha aaonla me nadeem sahab hafiz raees sahab au rifat sahab sabhi jaane hai
shukriya
aapka hilal ahmad 'hilal wazirganjvi' budauni
जनाब मोईन साहब आदाब
आप एक अदबी माहौल में तरबियत ले रहे है तो सब से पहले आप को मेरे सलाम का जवाब देना चाहिए था जैसा की मैंने आपको लिखा था मोईन साहब अस्सलाम-ओ-अलैकुम आपने जो "देखिये मियां " कहकर पुकारा है वो काबिल-ऐ-मुहब्बत नहीं है
और मैंने वक्तन बा वक्तन अपने अशआर पे आपके ता-अस्सुरात (comments ) मांगे थे न की इस तरह से कोई सनद के मै ज़बरदस्त लिखता हूँ खानदानी शायर हूँ
इस तरह आप अपनी समा-अत का फ़रीज़ा नहीं अदा कर सकते
ऐसा नहीं के "देखिये मियां" एक तहज़ीब से गिरा हुआ लफ्ज़ है मगर जब भी किसी से बात की शुरुआत हो तो सलामत (सलाम )से हो बेहतर है आगे से ये ख्याल रखियेगा के किसी भी ओबो मेम्बेर्स को "देखिये मियां" के बजाये भाई कहकर पुकारें , अपनापन झलकेगा!
आपके इस मुहब्बत भरे अलकाब "देखिये मियां" की नज्र जनाब मुनव्वर राना साहब का शेर पेश करता हूँ तशरीह हो जायगी
शुक्रिया आपका भाई
हिलाल अहमद हिलाल
बेसबब लोग हमे दुश्मन-ऐ-जाँ कहते हैं
हम जो इस मुल्क की मिटटी को भी माँ कहते है
आप ने खुल के मुहब्बत नहीं की है हमसे
आप भाई नहीं कहते है मियां कहते है
Admin
Sep 26, 2010
Ratnesh Raman Pathak
Sep 26, 2010
PREETAM TIWARY(PREET)
Sep 26, 2010
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"

अपने मित्रो और परिचितों को ओपन बुक्स ऑनलाइन से जोड़ने हेतु यहाँ क्ल...Sep 27, 2010
Hilal Badayuni
masarrat ki baat hai k aapne mujhe frien list me to shaamil ker liya hai maagar naacheez ki shayri per apne ta-assuraat pesh nahi kiye abhi tak
bhai mai wazirganj zila budaun se belong kerta hu basically aur zauq wazirganjvi sahab ka farzand hu is waqt delhi me hu
aapke yaha aaonla me nadeem sahab hafiz raees sahab au rifat sahab sabhi jaane hai
shukriya
aapka hilal ahmad 'hilal wazirganjvi' budauni
Oct 6, 2010
Hilal Badayuni
आप एक अदबी माहौल में तरबियत ले रहे है तो सब से पहले आप को मेरे सलाम का जवाब देना चाहिए था जैसा की मैंने आपको लिखा था मोईन साहब अस्सलाम-ओ-अलैकुम आपने जो "देखिये मियां " कहकर पुकारा है वो काबिल-ऐ-मुहब्बत नहीं है
और मैंने वक्तन बा वक्तन अपने अशआर पे आपके ता-अस्सुरात (comments ) मांगे थे न की इस तरह से कोई सनद के मै ज़बरदस्त लिखता हूँ खानदानी शायर हूँ
इस तरह आप अपनी समा-अत का फ़रीज़ा नहीं अदा कर सकते
ऐसा नहीं के "देखिये मियां" एक तहज़ीब से गिरा हुआ लफ्ज़ है मगर जब भी किसी से बात की शुरुआत हो तो सलामत (सलाम )से हो बेहतर है आगे से ये ख्याल रखियेगा के किसी भी ओबो मेम्बेर्स को "देखिये मियां" के बजाये भाई कहकर पुकारें , अपनापन झलकेगा!
आपके इस मुहब्बत भरे अलकाब "देखिये मियां" की नज्र जनाब मुनव्वर राना साहब का शेर पेश करता हूँ तशरीह हो जायगी
शुक्रिया आपका भाई
हिलाल अहमद हिलाल
बेसबब लोग हमे दुश्मन-ऐ-जाँ कहते हैं
हम जो इस मुल्क की मिटटी को भी माँ कहते है
आप ने खुल के मुहब्बत नहीं की है हमसे
आप भाई नहीं कहते है मियां कहते है
Oct 9, 2010
Julie

अपनी दोस्ती से नवाजने का बहुत -बहुत शुक्रिया... "मोईन जी"...!! -जूली :-)Oct 14, 2010