स्वागत
आज समय बदल गइल ,
स्वागत के अंदाज बदल गइल ,
पाहिले घर में मेहमान आई ,
मिश्री मिठाई से स्वागत काइल जाई ,
अब चाय बिस्कुट से काम चल जात बा ,
आज समय बदल गइल ,
स्वागत के अंदाज बदल गइल ,
ye to waakai bahut hee shaandaar rachna hai ..!
गुनाहगारो के लिए वरदान ,
बेगुनाहों के लिए अभिशाप ,
कारन तारीख पर तारीख ,
बेगुनाह हो जाते हैं फक्कर ,
कानून का चक्कर ,
अब देखिये कसाब को ,
जो बना एक सौ से ज्यादा bahut hee sahee likha hai aapne ...
कमर तोड़ दी ये बेदर्द महंगाई ,
जीने नहीं देती हैं बेशर्म महंगाई ,
गेहू जो आज कल राशन में आता हैं ,
तीन दिन तक भोजन चल पाता हैं ,
सत्ताईस की हर दम रहती है जोहाई,
कमर तोड़ दी ये बेदर्द महंगाई ,
चीनी के दाम बढे आलू रुलाता हैं ,
चावल लेने में आसू आ जाता हैं ,
नौकरी नहीं हैं करता खेती बारी ,
बारिश ना होती हैं जाती जान हमारी ,
बचालो जीवन मेरा सरकार दुहाई ,
कमर तोड़ दी ये बेदर्द महंगाई ,
भगवान (भ + ग + व + अ + न )
भ - भूमि, धरती
ग - गगन , आकाश ,
व - वायु , हवा ,
अ - आग अग्नि
न - नीर , जल पानी
ये पाँच तत्व से शरीर बना हैं,
ये बात मेरे बड़े भाई साहब बताये ,
अगर इस शरीर को उत्तम प्रवृति का बनाये ,
तो वो सर्वोतम हो जायेगा ,
और सर्व गुण संपन को भगवान कहते हैं |
बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,
आग लगइबु का हो गोरिया बीच बजरिया आई के ,
चाल बा तोहर नागिन जइसन अचरा जब सरकावेलू ,
देख के मुखड़ा मन इ बोले अंगिया काहे न लगावे लू ,
तोहरो सुरतिया मनवा मोहे काहे जालू ललचाई के ,
बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,
जवन तू कह्बू उहे करब हमरा के अपनाs लs हो ,
तहरे खातिर जियत बानी मन के आसरा पूरा द हो ,
मन में तूही बsसल बारू रखs अंगिया से हमके लगाइ के ,
बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,
तन मिली त मनवा खिली जियरा भरी उड़ान हो ,
तहरे अईला से हो गोरिया आवे ला ईहा बहार हो ,
मुश्कि तोहार बा मनमोहन खुश बानी तोहे पाई के ,
बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,
कौन कहता हैं सी बी आई का दुरूपयोग होता हैं,
१८८४ के दंगा के आरोपी को छोड़ती हैं ,
जनता की मांग पर फिर केस चलता हैं ,
उसके बाद दुबारा सजन कुमार अंदर जाता हैं ,
कौन कहता हैं सी बी आई का दुरूपयोग होता हैं,
टाइटलर हैं किस्मत वाले दुबारा क्लीनचिट मिला ,
अमित शाह को लेकर भाजपा ने जो वक्तव्य दिया ,
आम आदमी सोचने पर मजबूर हो जाता हैं ,
कौन कहता हैं सी बी आई का दुरूपयोग होता हैं,
वाह रे हिंद के लोकतंत्र ,
सब कुछ दिखा दिया ,
तेरे प्रतिनिधियों में भी ,
अब दिखने लगी एकता ,
हम सब समझते हैं,
कारण ?
लुट सको तो लुट लो ,
सदन में जो एक दुसरे को ,
बोलने नहीं देते ,
बच्चो सा लड़ते ,
मूर्खो सा हरकत करते ,
आज है हाथ मिलाते,
कारण ?
लुट सको तो लुट लो ,
वेतन की बात अच्छी हैं ,
सचिव से ज्यादा चाहिए ,
हम इसकी पहल करेंगे ,
मगर इमानदार बन के दिखाइए ,
आते फकीर, बन जाते अमीर,
कारण ?
लुट सको तो लुट लो ,
१५००० की वेतन ,
आपको ५ साल में ,
अरब पति बनाते हैं ,
ये पैसा कहाँ से आते हैं ,
आप समझायेंगे हमे,
कारण ?,
लुट सको तो लुट लो ,
आप ८० हजार नहीं २ करोड़ लो ,
साथ में इक वादा भी करो,
हम ईमानदारी से ,
हिंद के सेवा में लगे रहेंगे ,
तो हम क्यों पूछेंगे,
कारण ?
और क्यों कहेंगे ,
लुट सको तो लुट लो ,
राखी आकर चली गई ,
कही मस्ती छाई ,
चली खूब मिठाई ,
बहना ने भाई की ,
कलाई पे राखी बांधी !!
जहीन ये ख़ुशी दे गई ,
और कही गम का गुबार
देकर चली गई !!
अब एक दो रूपये में ,
राखी मिलती नहीं ,
दुखहरण के बेटी बुधिया के पास ,
चावल खरीदने के बाद,
पांच रुपये का सिक्का बचा ,
दाल की जगह ,
खरीद ली राखी ,
मिठाई के नाम पर ,
लिया बताशा ,
वाह रे दुनिया वाले ,
कैसा अजब तमाशा ,
तेरी कुदरत
कहीं हंसा गई
कहीं रुला गई ,
राखी आई चली गई !!
प्लेविन एक ऐसा सपना ,
जो सपने चकनाचूर करे ,
इंसान को इंसान ना रहने दे ,
गलती को मजबूर करे ,
जो लेकर आये,
वो कभी वापस ना जाये ,
जो गए उसे पाने के लिए,
और लगाये और लगाये,
दिन पर दिन फटहाली,
और कंगाली छाये ,
जो इसके चक्कर में पड़े,
वो कही का ना रहे,
काम में भी मन न लगे,
अपनों से भी दूर करे ,
दोस्तों आप से गुजारिश हैं ,
सपने देखो मगर ऐसा नहीं,
चलो आप एक काम करो,
हर एक से ये बात कहो ,
उस प्लेविन से मुख मोड़ो,
जो सपने चकनाचूर करे,
(प्लेविन = एक प्रकार का जुआ)
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,
तेरे चाह में पड़ कर हमने ये क्या कर डाला ,
घर में बच्चे भूखे सो गए चल रहा हैं प्याला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,
रोज कमाए रोज उड़ाये खाली हाथ घर को जाये ,
बीबी जब कुछ पूछे तो भईया जोर का चाटा खाये ,
सिलसिला यह चल रहा हैं नहीं अब रुकने वाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,
दोस्तों की दोस्ती से यारो होती है यह शुरू ,
शौक से आगे बढती फिर आदत का रुप यह लेती ,
क्या बतलाऊ इसने तो जीना मुस्किल कर डाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,
सोच था इक सपना था आगे तक जाने की ,
जाने कैसे बहक गया मैं नजर लगी ज़माने की ,
सोचा था क्या मैंने और ये क्या कर डाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,
गुरु जी , फ़ोन के माध्यम से पता चला की आपके चाचा जी का ट्रेन एक्सिडेंट में स्वर्गवास हो गया है जो बहुत ही दुःख कि बात है l मै ईश्वर से प्रार्थना करुंगा की भगवान आप के परिवार में आये इस आपार दुखो से लड़ने की हिम्मत दे ! भगवान् आपके चाचा जी के आत्मा को शांति प्रदान करें ल
आदरणीय रवि कुमार गिरि जी, सादर अभिवादन, यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करे | हम सभी उम्मीद करते है कि आपका प्यार इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा | आपका गणेश जी "बागी"
महिना क सक्रिय सदस्य आप के घोषित कईल गईल बा| बधाई स्वीकार करीं| आशा बा की आप आगे भी आपन सक्रियता बना के राखब| आगे भी आप के प्यार आ दुलार हमनी के मिलत रही|
भारतीय संसद में "भारत माता की जय "का नारा लगन "जुर्म" है !
हम जिनको चुन के भेजे वो उसी संसद में गली-गलौज, हंगामा, करें तो कोई बात नहीं लेकिन एक आम आदमी जब अपनी समस्या लेकर उनके पास जाता है तो उसे अन्दर नहीं जाने दिया जाता.आज हरयाणा का एक नौजवान जब भ्रष्टाचार के "खिलाफ भारत माता की जय" का नारा लगता है तो उससे एक अपराधी की तरह ब्यवहार किया गया. उसने कोई कानून नहीं तोडा था उसके पास अन्दर जाने का पास था उसका कसूर केवल इतना था की वो अपनी परेशानी देश की समस्या और जनता की आवाज़ देश के नेताओ तक पहुचने की कोशिश कर रहा था.
कांग्रेस के कई नेता वहां प्रेस कांफ्रेस के लिए खरे थे किसी ने उसको छोरने के लिए सुरक्षा कर्मियों से नहीं कहा सब तमाशबीन बने रहे अगर मीडिया वह ना होती तो पता नहीं उस नौजवान के साथ क्या होता ?
Admin
Mar 9, 2010
PREETAM TIWARY(PREET)
Mar 17, 2010
asha pandey ojha
आज समय बदल गइल ,
स्वागत के अंदाज बदल गइल ,
पाहिले घर में मेहमान आई ,
मिश्री मिठाई से स्वागत काइल जाई ,
अब चाय बिस्कुट से काम चल जात बा ,
आज समय बदल गइल ,
स्वागत के अंदाज बदल गइल ,
ye to waakai bahut hee shaandaar rachna hai ..!
May 4, 2010
asha pandey ojha
जन चेतना में देरी हैं ,
सोचता हु क्या करू मैं ,
लडू या भाग परु मैं bahut khoob ..
May 6, 2010
asha pandey ojha
बेगुनाहों के लिए अभिशाप ,
कारन तारीख पर तारीख ,
बेगुनाह हो जाते हैं फक्कर ,
कानून का चक्कर ,
अब देखिये कसाब को ,
जो बना एक सौ से ज्यादा bahut hee sahee likha hai aapne ...
May 8, 2010
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
इहा के बाटे सुने वाला ,
हर तरफ अन्धिआर भइल बा ,
धधकत बा दहेज के ज्वाला ,
बेटी के बाप त हमहू बानी ,
बड़ी मुश्किल से पढ़वले बानी ,
हम खइनी आधापेट हरदम ,
बेटी के करौनी हमहू बी कॉम ,
लईका बढ़िया खोजत बानी ,
दहेज़ के बिना बाटे परेशानी ,
अब सोचत बानी काहे पढ़वनी,
जन्मते काहे ना नमक चटवनी,
मर गइल रहित इहो तबही ,
इ परेशानी ना आइत अबही ,
एय लईका वाला तनी बुझs ,
हमहू पढ़वनी तनिका समझs ,
जवन कमाई तुहू पईबs ,
हमरा घरे नाही पेठइबs ,
आउर एक बात बाबू तू जान ,
लईकी लईका में अंतर ना रख ,
लईकी बिन तोहर लईका कुवारा ,
ना मिली दुल्हिन बनी आवारा ,
तब तुहू खूब पछतइबs ,
तब तुहू गुरु के संगे ना पईबs ,
तब तुहू कहबs भाई हमार हो ,
आपन दुःख केकरा से कही ,
इहा के बाटे सुने वाला ||
Jun 23, 2010
Prabhakar Pandey
Jul 2, 2010
Team Admin
जीने नहीं देती हैं बेशर्म महंगाई ,
गेहू जो आज कल राशन में आता हैं ,
तीन दिन तक भोजन चल पाता हैं ,
सत्ताईस की हर दम रहती है जोहाई,
कमर तोड़ दी ये बेदर्द महंगाई ,
चीनी के दाम बढे आलू रुलाता हैं ,
चावल लेने में आसू आ जाता हैं ,
नौकरी नहीं हैं करता खेती बारी ,
बारिश ना होती हैं जाती जान हमारी ,
बचालो जीवन मेरा सरकार दुहाई ,
कमर तोड़ दी ये बेदर्द महंगाई ,
Jul 17, 2010
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
भ - भूमि, धरती
ग - गगन , आकाश ,
व - वायु , हवा ,
अ - आग अग्नि
न - नीर , जल पानी
ये पाँच तत्व से शरीर बना हैं,
ये बात मेरे बड़े भाई साहब बताये ,
अगर इस शरीर को उत्तम प्रवृति का बनाये ,
तो वो सर्वोतम हो जायेगा ,
और सर्व गुण संपन को भगवान कहते हैं |
Jul 19, 2010
Admin
आग लगइबु का हो गोरिया बीच बजरिया आई के ,
चाल बा तोहर नागिन जइसन अचरा जब सरकावेलू ,
देख के मुखड़ा मन इ बोले अंगिया काहे न लगावे लू ,
तोहरो सुरतिया मनवा मोहे काहे जालू ललचाई के ,
बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,
जवन तू कह्बू उहे करब हमरा के अपनाs लs हो ,
तहरे खातिर जियत बानी मन के आसरा पूरा द हो ,
मन में तूही बsसल बारू रखs अंगिया से हमके लगाइ के ,
बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,
तन मिली त मनवा खिली जियरा भरी उड़ान हो ,
तहरे अईला से हो गोरिया आवे ला ईहा बहार हो ,
मुश्कि तोहार बा मनमोहन खुश बानी तोहे पाई के ,
बाली उमिरिया पतली कमरिया चलेलु तू इठालाइ के ,
Jul 23, 2010
Admin
१८८४ के दंगा के आरोपी को छोड़ती हैं ,
जनता की मांग पर फिर केस चलता हैं ,
उसके बाद दुबारा सजन कुमार अंदर जाता हैं ,
कौन कहता हैं सी बी आई का दुरूपयोग होता हैं,
टाइटलर हैं किस्मत वाले दुबारा क्लीनचिट मिला ,
अमित शाह को लेकर भाजपा ने जो वक्तव्य दिया ,
आम आदमी सोचने पर मजबूर हो जाता हैं ,
कौन कहता हैं सी बी आई का दुरूपयोग होता हैं,
Jul 26, 2010
Admin
सब कुछ दिखा दिया ,
तेरे प्रतिनिधियों में भी ,
अब दिखने लगी एकता ,
हम सब समझते हैं,
कारण ?
लुट सको तो लुट लो ,
सदन में जो एक दुसरे को ,
बोलने नहीं देते ,
बच्चो सा लड़ते ,
मूर्खो सा हरकत करते ,
आज है हाथ मिलाते,
कारण ?
लुट सको तो लुट लो ,
वेतन की बात अच्छी हैं ,
सचिव से ज्यादा चाहिए ,
हम इसकी पहल करेंगे ,
मगर इमानदार बन के दिखाइए ,
आते फकीर, बन जाते अमीर,
कारण ?
लुट सको तो लुट लो ,
१५००० की वेतन ,
आपको ५ साल में ,
अरब पति बनाते हैं ,
ये पैसा कहाँ से आते हैं ,
आप समझायेंगे हमे,
कारण ?,
लुट सको तो लुट लो ,
आप ८० हजार नहीं २ करोड़ लो ,
साथ में इक वादा भी करो,
हम ईमानदारी से ,
हिंद के सेवा में लगे रहेंगे ,
तो हम क्यों पूछेंगे,
कारण ?
और क्यों कहेंगे ,
लुट सको तो लुट लो ,
Aug 19, 2010
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
कही मस्ती छाई ,
चली खूब मिठाई ,
बहना ने भाई की ,
कलाई पे राखी बांधी !!
जहीन ये ख़ुशी दे गई ,
और कही गम का गुबार
देकर चली गई !!
अब एक दो रूपये में ,
राखी मिलती नहीं ,
दुखहरण के बेटी बुधिया के पास ,
चावल खरीदने के बाद,
पांच रुपये का सिक्का बचा ,
दाल की जगह ,
खरीद ली राखी ,
मिठाई के नाम पर ,
लिया बताशा ,
वाह रे दुनिया वाले ,
कैसा अजब तमाशा ,
तेरी कुदरत
कहीं हंसा गई
कहीं रुला गई ,
राखी आई चली गई !!
Aug 24, 2010
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
जो सपने चकनाचूर करे ,
इंसान को इंसान ना रहने दे ,
गलती को मजबूर करे ,
जो लेकर आये,
वो कभी वापस ना जाये ,
जो गए उसे पाने के लिए,
और लगाये और लगाये,
दिन पर दिन फटहाली,
और कंगाली छाये ,
जो इसके चक्कर में पड़े,
वो कही का ना रहे,
काम में भी मन न लगे,
अपनों से भी दूर करे ,
दोस्तों आप से गुजारिश हैं ,
सपने देखो मगर ऐसा नहीं,
चलो आप एक काम करो,
हर एक से ये बात कहो ,
उस प्लेविन से मुख मोड़ो,
जो सपने चकनाचूर करे,
(प्लेविन = एक प्रकार का जुआ)
Aug 25, 2010
Admin
तेरे चाह में पड़ कर हमने ये क्या कर डाला ,
घर में बच्चे भूखे सो गए चल रहा हैं प्याला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,
रोज कमाए रोज उड़ाये खाली हाथ घर को जाये ,
बीबी जब कुछ पूछे तो भईया जोर का चाटा खाये ,
सिलसिला यह चल रहा हैं नहीं अब रुकने वाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,
दोस्तों की दोस्ती से यारो होती है यह शुरू ,
शौक से आगे बढती फिर आदत का रुप यह लेती ,
क्या बतलाऊ इसने तो जीना मुस्किल कर डाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,
सोच था इक सपना था आगे तक जाने की ,
जाने कैसे बहक गया मैं नजर लगी ज़माने की ,
सोचा था क्या मैंने और ये क्या कर डाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,
Aug 26, 2010
Jogendra Singh जोगेन्द्र सिंह
Aug 28, 2010
आशीष यादव
Sep 4, 2010
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
Sep 5, 2010
आशीष यादव
Dec 31, 2010
s. chauhan
Jan 18, 2011
Abhinav Arun
Jan 19, 2011
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
Apr 4, 2011
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
Jul 3, 2011
Atendra Kumar Singh "Ravi"
अतेन्द्र कुमार सिंह 'रवि'
Jul 13, 2011
Shanno Aggarwal
रवि जी, आपका हार्दिक धन्यबाद.
Aug 2, 2011
Atendra Kumar Singh "Ravi"
guruji pranam, hamare jhalki padne ke liye bahut bahut dhanyavad.......
ham aapse us comments ki bhi aasha rakhte hain jo hame aage likhane men ek naee urja ka sanchar kare......
Aug 17, 2011
Shashi Ranjan Mishra
गुरु जी, बहुत बहुत धन्यवाद
Aug 18, 2011
sanjiv verma 'salil'
shubhkamnaon hetu dhanyavad.
Aug 23, 2011
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
Sep 5, 2011
mohinichordia
ओ बी ओ चालीसा अच्छा लगा
Sep 7, 2011
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
आदरणीय रवि कुमार गिरि जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में
आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य"
(Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करे |
हम सभी उम्मीद करते है कि आपका प्यार इसी तरह से पूरे OBO परिवार को सदैव मिलता रहेगा |
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
Oct 1, 2011
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
भाई रविजी, माँ दुर्गा, माँ लक्ष्मी और माँ काली के इस पावन माह में सक्रिय सदस्य चयनित होने पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ.
विश्वास है ओबीओ परिवार से बनी आपकी भावनापगी संलग्नता आपके साहित्य-अनुराग में उत्तरोत्तर वृद्धि और आपकी रचनाधर्मिता के विकास का कारण बनेगी.
हज़ारहा मुबारकाँ .. .
Oct 1, 2011
आशीष यादव
गुरु जी प्रणाम,
Oct 1, 2011
वीनस केसरी
अक्टूबर २०११ के सक्रिय सदस्य चयनित होने पर मेरी हार्दिक बधाई
Oct 2, 2011
mohinichordia
बधाई स्वीकार करें ,महीने का सक्रिय सदस्य चुने जाने पर |
Oct 2, 2011
Abhinav Arun
बधाई गुरु जी ! जय हो !!
Oct 2, 2011
Rohit Sharma
thankyou Giri
jee
Oct 9, 2011
Sanjay Mishra 'Habib'
आपका सादर आभार आद गुरु भाई...
Nov 4, 2011
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
Guru jee, Aap jantey hai ki OBO par dusare site ka link share karna mana hai, uske baad bhi aap link post kar rahe hai, kyaa yah thik hai ?????????
Nov 17, 2011
आशीष यादव
guru ji dhanyawaad.
Dec 30, 2011
Shakur Khan
हम जिनको चुन के भेजे वो उसी संसद में गली-गलौज, हंगामा, करें तो कोई बात नहीं लेकिन एक आम आदमी जब अपनी समस्या लेकर उनके पास जाता है तो उसे अन्दर नहीं जाने दिया जाता.आज हरयाणा का एक नौजवान जब भ्रष्टाचार के "खिलाफ भारत माता की जय" का नारा लगता है तो उससे एक अपराधी की तरह ब्यवहार किया गया. उसने कोई कानून नहीं तोडा था उसके पास अन्दर जाने का पास था उसका कसूर केवल इतना था की वो अपनी परेशानी देश की समस्या और जनता की आवाज़ देश के नेताओ तक पहुचने की कोशिश कर रहा था.
कांग्रेस के कई नेता वहां प्रेस कांफ्रेस के लिए खरे थे किसी ने उसको छोरने के लिए सुरक्षा कर्मियों से नहीं कहा सब तमाशबीन बने रहे अगर मीडिया वह ना होती तो पता नहीं उस नौजवान के साथ क्या होता ?
Jan 18, 2012