वृक्ष सूखकर भी देखो कितने काम हमारे आते हैं | स्वयं जलकर आदमी को देते रोटी परमार्थ का पाठ हमें पढ़ते हैं ||
क्या यथार्थ बातें कही है आपने! योगी भी तो ऐसे ही होते हैं, अपने तन की सुध न रखकर अपनों के लिए रोते हैं! .....मैंने केवल तुकबंदी भिड़ाने की कोशिश की है....
Rekha Joshi
yogi ji ,apka swaagt hae ,bahut achchha likha hae ,badhaai
May 15, 2012
PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA
aadarniy yogi ji, aapka hardik swagat hai.
May 17, 2012
PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA
aadarniya yogi ji. sadar vrakshon ki upyogita par aapki pahli rachna ka swagat hai. aap sundar likhen, likhne ki takniki main ijafa karen. badhai.
May 17, 2012
JAWAHAR LAL SINGH
वृक्ष सूखकर भी देखो
कितने काम हमारे आते हैं |
स्वयं जलकर आदमी को देते रोटी
परमार्थ का पाठ हमें पढ़ते हैं ||
May 19, 2012
डॉ. सूर्या बाली "सूरज"
योगी भाई बहुत बहुत आभार ! आपकी सुंदर प्रतिक्रियाएँ मिलती रहती हैं। अच्छा लगता है।
May 25, 2012
डॉ. सूर्या बाली "सूरज"
योगी जी जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई ! ईश्वर आपको सदा स्वस्थ और मस्त रखें और आप साहित्य और देश की सेवा ऐसे ही करते रहें !!
Jun 1, 2012