Nita Kasar

Profile Information:

Gender
Female
City State
jabalpur
Native Place
jabalpur
Profession
advocate
About me
story writer

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  • सदस्य कार्यकारिणी

    मिथिलेश वामनकर

    आपका ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत है !

  • Nita Kasar

    Thank you
  • Nita Kasar

    दर ए दीवार लघुकथा ।
    एक ही मोहल्ले में,एक ही गली में रहने वाले दो परिवार,अपनापन इतना ज़्यादा कि लोग एक ही परिवार समझते।
    वक़्त की नज़ाकत,व बड़ों का बचपना,दोनों मंे अनबोला हो गया।
    हालत इतने बिगड़ गये कि एक दूसरे कि सूरत देखना गवांरा नही था।
    अचानक आये भूकंप ने सबको स्तब्ध कर दिया।
    भूकंप की थरथराहट ने दीवार को ज़मींदोज़ कर
    दिया ।
    क़ुदरत के क़हर के आगे सब बौने है?

    अप्रकाशित मौलिक

    नीता कसार
  • Nita Kasar

    सुलझती उलझन

    पिछली कुछ रातों से मनु चैन से सो न पाया अक्सर आये सपने से चौंक कर उठ कर बैठ जाता ।
    छोटा बच्चा नहीं है वह मिनी से शादी करता पर माँ पापा की कट्टरता के आगे समर्पण कर बैठा।
    अब आजीवन जेल में रहना होगा क्या मुझे जेल में नही !!!!!!
    वह बिन ब्याही मिनी और उसके बच्चे का पिता होने के जुर्म में सवालों के पीछे पहंुच गया ।
    मनु आदतन अपराधी नही था पूरी ज़िंदगी उसके और मिनी के सामने थी ।अदालत ने इसी आधार पर उसकी ज़मानत अर्ज़ी मंज़ूर कर ली ।
    अब वह बेटे को अपना नाम देगा,अच्छा पति बनेगा ।ज़िम्मेदारियों के अहसास ने उसे कश्मकश के भँवर से भी मुक्त कर दिया ।
    नीता कसार
    जबलपुर
    मौलिक व अप्रकाशित ।
  • Nita Kasar

    "बंधन"
    स्वर्ण आभूषणों क़ीमती कपड़ों की चकाचौंध से उसका रूप सौंदर्य दमक रहा था, स्वर्ग से अप्सरा उतर आई हो जैसे।
    और कोई होती तो मारे ख़ुशी से बावली हो जाती, पर नाम की लक्ष्मी का मन डूबा जा रहा था।
    लोग क़यास लगाने में उलझे हुये थे।
    पर कुछ जोड़ी अनुभवी आँखें युवती
    की मन, की मलिनता समझ रही थी पर मजबूर थी। उनके हाथ बँधे जो थे।
    "तू जल्दी से तैयार हों जा लक्ष्मी, सरपंच के बेटे की बहू बनकर जा रही है बहुत खुश रहेगी।
    सुनो न माँ ------।कुअें से डूबती आवाज़ से पुकारा लक्ष्मी ने । माँ लौटी नसीहत के साथ, 'रानी बनकर राज करेगी ' लाड़ों, कहकर माँ ने उसके गोरे,गोरे गाल थपथपा दिये, पर वे शर्मो हया के मारे लाल न हुये ।
    'दुल्हन को बुलाओ, मुहुरत निकला जा रहा है'। पर उसका निर्णय अटल था
    वह घर के पिछले दरवाज़े से निकल चुकी थी अपनी पसंद के साथ, प्रेमपथ पर, आज़ाद हो सारे बंधनों से ।
    एक एेसी नदी जिसे कोई बाँध, बंधन मंज़ूर नही, अनवरत चाहती थी, उन्मुक्त हो निर्बाध बहना ।

    मौलिक व अप्रकाशित नीता कसार
    जबलपुर (म०प्र) ।