राज़ साहेब, आप नये हैं ये मुझे मालूम नहीं था क्योंकि मैं ख़ुद यहाँ नया हूँ......हा हा हा हा ....लेकिन आपसे पहली मुलाक़ात अच्छी रही........मुझे इस महफ़िल में बहुत प्यार और मुहब्बत से नवाज़ा गया है और आप भी यहाँ के दोस्ताना माहौल में रस से सराबोर हो जायेंगे . ऐसा मेरा यक़ीन है
___ओ बी ओ है ही ऐसी जगह.................आपका तहेदिल से इस्तेकबाल है भाई साहेब !
राज भाई तहे दिल से मेरा शुकराना स्वीकार करे ,आपके स्नेहिल वचन मुझे और अच्छे काव्य की रचना की प्रेरणा देंगे ,सराहना के लिए बहुत -बहुत साधुवाद ......लोकेश सिंह
राज़ साहब आपने मुझ नाचीज़ की भी रचना पढ़ी मैं धन्य हो गया, आपकी दाद मेरे लिए सबसे बड़ा तोहफा है और कुछ और अच्छा लिखने की प्रेरणा अब मुझे मिलती रहेगी.... आपका तलबगार प्रमेन्द्र डाबरे
जी आप कुछ कुछ ठीक कह रहे हैं त्रुटी वश ये न की जगह ना लिखा गया 'केवल दो किलोमीटर पीछे हुए एक्सीडेंट का वो बेचारा पेशेंट साइकिल वाला था न और ये कार वाला, क्या ये अंतर मैं नहीं समझती'----ये इस तरह लिखा था मेरी मूल लघु कथा में ----हम दैनिक बोलचाल में न शब्द का इस्तेमाल ? के साथ करते हैं इसमें न के बाद ? मार्क लगाना भूल गई बहुत बहुत आभार इस और ध्यान दिलाने के लिए
Admin
Feb 5, 2012
Albela Khatri
aapka dili isteqbaal hai janaab !
Jun 26, 2012
Albela Khatri
वाह वाह वाह वाह
निहाल कर दिया साहेब
___जनाब राज़ नवादवी जी.........गज़ब है !
___मुबारक हो ये उम्दा शाइरी........
Jun 27, 2012
Albela Khatri
राज़ साहेब, आप नये हैं ये मुझे मालूम नहीं था क्योंकि मैं ख़ुद यहाँ नया हूँ......हा हा हा हा ....लेकिन आपसे पहली मुलाक़ात अच्छी रही........मुझे इस महफ़िल में बहुत प्यार और मुहब्बत से नवाज़ा गया है और आप भी यहाँ के दोस्ताना माहौल में रस से सराबोर हो जायेंगे . ऐसा मेरा यक़ीन है
___ओ बी ओ है ही ऐसी जगह.................आपका तहेदिल से इस्तेकबाल है भाई साहेब !
Jun 27, 2012
लोकेश सिंह
राज भाई तहे दिल से मेरा शुकराना स्वीकार करे ,आपके स्नेहिल वचन मुझे और अच्छे काव्य की रचना की प्रेरणा देंगे ,सराहना के लिए बहुत -बहुत साधुवाद ......लोकेश सिंह
Sep 21, 2012
प्रमेन्द्र डाबरे
राज़ साहब आपने मुझ नाचीज़ की भी रचना पढ़ी मैं धन्य हो गया, आपकी दाद मेरे लिए सबसे बड़ा तोहफा है और कुछ और अच्छा लिखने की प्रेरणा अब मुझे मिलती रहेगी.... आपका तलबगार प्रमेन्द्र डाबरे
Sep 21, 2012
नादिर ख़ान
मुझको तिरी बेजारियों का कुछ गिला नहीं
मेरी भी ज़िंदगी अना दिखला के रह गई
मैं भी न मिल सका उसे पिछले बरसके बाद
तनहा कली कहीं कोई मुरझा के रह गई
बहुत ही उम्दा गज़ल है राज़ भाई बहुत ख़ूब
Oct 8, 2012
Deepak Sharma Kuluvi
aapki rachnaen behatreen hain
Oct 11, 2012
Deepak Sharma Kuluvi
welcome sir
Oct 11, 2012
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
सादर आभार तहे दिल से शुक्रिया ग़ज़ल आपको पसंद आई राज़ जी
Jul 18, 2013
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
जी आप कुछ कुछ ठीक कह रहे हैं त्रुटी वश ये न की जगह ना लिखा गया 'केवल दो किलोमीटर पीछे हुए एक्सीडेंट का वो बेचारा पेशेंट साइकिल वाला था न और ये कार वाला, क्या ये अंतर मैं नहीं समझती'----ये इस तरह लिखा था मेरी मूल लघु कथा में ----हम दैनिक बोलचाल में न शब्द का इस्तेमाल ? के साथ करते हैं इसमें न के बाद ? मार्क लगाना भूल गई बहुत बहुत आभार इस और ध्यान दिलाने के लिए
Jul 18, 2013