प्रिय महिर्षि जी , आपकी कथा अभी पढ़ी , आपकी जिज्ञासा समझ आ गयी , आदरणीय सविता मिश्रा जी ने आपकी जिज्ञासा का समाधान कर दिया है , मेरा विश्वास है आप समझ गए होंगे कि आ ० योगराज प्रभाकर का संकेत किधर है। लघु- कथा हेतु रचना एक प्रकरण की ही अपेक्षित होती हैं। कथा अच्छी है , आगे प्रयास जारी रखें।
सस्नेह।
डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
प्रिय महर्षि
आपकी मित्रता का स्वागत i साथ ही आप अनुज भी है i आपको स्नेह और आशीष i
Feb 28, 2015
pratibha pande
जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएँ आपको
Nov 19, 2015
Dr. Vijai Shanker
सस्नेह।
Nov 30, 2015