आदरणीय राहुलजी, आपका प्रश्न एक दम समीचीन और सही है. प्रथम दृष्ट्या आत और आथ क़ाफ़िया नहीं बन सकते. लेकिन हो सकता है कि राहत इन्दौरी के जिस मतले पर आपने शेर उद्धृत किया है वह किसी और ग़ज़ल का शेर हो. या, उर्दू के हिसाब से उन अक्षरों की वर्तनी अलग ढंग की हो. और वहाँ मान्य हो. जो हिन्दी में वैसी नहीं है. सादर
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
आदरणीय राहुलजी, आपका प्रश्न एक दम समीचीन और सही है. प्रथम दृष्ट्या आत और आथ क़ाफ़िया नहीं बन सकते. लेकिन हो सकता है कि राहत इन्दौरी के जिस मतले पर आपने शेर उद्धृत किया है वह किसी और ग़ज़ल का शेर हो. या, उर्दू के हिसाब से उन अक्षरों की वर्तनी अलग ढंग की हो. और वहाँ मान्य हो. जो हिन्दी में वैसी नहीं है.
सादर
Nov 20, 2014
Harash Mahajan
आदरणीय Rahul Dangi जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया |उम्मीद है आप सभी का साथ यूँ ही बना रहेगा |
Jul 28, 2015
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
Jan 9, 2017