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ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)
May 15
ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
May 15
दोहा पंचक. . . अपनत्व
May 7
दोहा पंचक. . . नया जमाना
May 6
ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
May 5
दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
May 3
ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
May 3
ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
May 2
दोहा सप्तक. . . . विविध
May 1
ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
May 1
दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
Apr 30
मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
Apr 30
पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
Apr 30
ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
Apr 30
ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
Apr 29
मनहरण घनाक्षरी
Apr 28
दोहा षष्ठक. . . . आतंक
Apr 26
ग़ज़ल
Apr 20
एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
Apr 19
दोहा सप्तक. . . उल्फत
Apr 18
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