दोहा सप्तक. . . . संबंध

दोहा सप्तक. . . . संबंध

पति-पत्नी के मध्य क्यों ,बढ़ने लगे तलाक ।
थोड़े से टकराव में, रिश्ते होते खाक ।।

अहम तोड़ता आजकल , आपस का माधुर्य ।
तार - तार सिन्दूर का, हो जाता सौन्दर्य ।।

खूब तमाशा हो रहा, अदालतों के द्वार ।
आपस के संबंध अब, खूब करें तकरार ।।

अपने-अपने दम्भ की, तोड़े जो प्राचीर ।
उस जोड़े की फिर सदा, सुखमय हो तकदीर ।।

पति-पत्नी के बीच में, बड़ी अहम की होड़ ।
जनम - जनम के साथ को, दिया बीच में छोड़। ।

जरा- जरा सी बात पर, होता अब टकराव ।
अब तो सब विच्छेद का, जोड़े करें चुनाव ।।

कड़वाहट का आ गया, सम्बन्धों में दौर ।
उलझन सुलझे किस तरह, कोई करे न गौर ।।

सुशील सरना / 23-9-24

मौलिक एवं अप्रकाशित 

  • रामबली गुप्ता

    आहा क्या कहने भाई जी बढ़ते संबंध विच्छेदों पर सभी दोहे सुगढ़ और सुंदर हुए हैं। बधाई लीजिये।

  • Sushil Sarna

    आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।