Male
Gonda, Uttar Pradesh
India
सुर्ख इबारत बयाँ करेगी- मैंने जीना चाहा था |
अपनी ही रुसवाई…
बहुत खूब!
Mar 15, 2012
Mar 16, 2012
जो भी आया उसने ही कुछ दुखते छाले फोड़ दिए,वहशत की आग बुझाने को मेरे सब सपने तोड़ दिए;
चातक जी आज के इस दर्द भरे जहां में ये भी देखने को मिलता है ...खूबसूरत ...
Apr 15, 2012
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JAWAHAR LAL SINGH
सुर्ख इबारत बयाँ करेगी- मैंने जीना चाहा था |
अपनी ही रुसवाई…
बहुत खूब!
Mar 15, 2012
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
Mar 16, 2012
SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
जो भी आया उसने ही कुछ दुखते छाले फोड़ दिए,
वहशत की आग बुझाने को मेरे सब सपने तोड़ दिए;
चातक जी आज के इस दर्द भरे जहां में ये भी देखने को मिलता है ...खूबसूरत ...
Apr 15, 2012