Male
barcelona
Spain
वो फ़कीर मुतमईन था एक रिदा ही पाकर,
दामन है, ओढ़न-बिछावन है और कफ़न भी। kamal hai janab...wah wah aur kya
हाथों के फ़ूल नहीं, छालों भरे तलवे भी देख,
मेरे सफ़र में आये हैं सहरा भी, चमन भी। alfaz nahi hai ,,,,,is sher ke liye
उसका किरदार यूं मेरे लम्हों पर हावी रहा,
मेरी बीवी मुझे लगी माँ भी कहीं बहन भी। bahut hi umda ,,,,,
एक बार बेलिबास किया गया था शह्र में मुझे,
मेरा नंग ढंक न पाये फिर कभी पैराहन भी। पैराहन - वस्त्र
वक़्त ने हादसों के खंज़र जिधर भी फैंके,
कहीं रहा, ज़द में आ ही गया मेरा बदन भी। kya baat hai ,,,mujhe ik sher yaad gaya -----
aur bhi ab bad gayi dushyariya,n mere safar
ki ,,,paththro,n ko dhondhti firti meri kismat
diwani
Jul 4, 2013
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ajay sharma
वो फ़कीर मुतमईन था एक रिदा ही पाकर,
दामन है, ओढ़न-बिछावन है और कफ़न भी। kamal hai janab...wah wah aur kya
हाथों के फ़ूल नहीं, छालों भरे तलवे भी देख,
मेरे सफ़र में आये हैं सहरा भी, चमन भी। alfaz nahi hai ,,,,,is sher ke liye
उसका किरदार यूं मेरे लम्हों पर हावी रहा,
मेरी बीवी मुझे लगी माँ भी कहीं बहन भी। bahut hi umda ,,,,,
एक बार बेलिबास किया गया था शह्र में मुझे,
मेरा नंग ढंक न पाये फिर कभी पैराहन भी। पैराहन - वस्त्र
वक़्त ने हादसों के खंज़र जिधर भी फैंके,
कहीं रहा, ज़द में आ ही गया मेरा बदन भी। kya baat hai ,,,mujhe ik sher yaad gaya -----
aur bhi ab bad gayi dushyariya,n mere safar
ki ,,,paththro,n ko dhondhti firti meri kismat
diwani
Jul 4, 2013