" माँ,रोटी पर मक्खन तो रखा नहीं।हाँ,देती हूँ।"
बेटे की रोटी पर मक्खन रखते हुए अचानक बर्तन माँजती बारह साल की बेटी छुटकी को देख सुधा के हाथ पल को ठिठके और फिर चलने लगे।वापसी में छुटकी की पीठ थपथपा काम में लग गई ।
माँ बेटी अभी थाली लेकर बैठीं थी कि पति की आवाज़ आई,
" कहां हो?पानी तो पिलाओ।खाने का कोई समय है कि नहीं जब तब थाली लिए बैठ जाती हो।यही छुटकी सीख रही है।"
पिता की आवाज़ सुनते ही छुटकी ने ज…