जो शेख़ ओ बरहमन में यारी रहेगी जलन जलने वालों की जारी रहेगी. . मियाँ जी क़वाफ़ी को समझे हैं नौकर अना का नशा है ख़ुमारी रहेगी. . गले में बड़ी कोई हड्डी फँसी है अभी आपको बे-क़रारी रहेगी. . हुज़ूर आप बंदर से नाचा करेंगे अकड आपकी गर मदारी रहेगी. . हमारे ये तेवर हमारे रहेंगे हमारी अदा बस हमारी रहेगी. . हुज़ूर इल्तिजा है न हम से उलझिये वगर्ना यूँ ही दिल-फ़िगारी रहेगी. . ग़ज़ल “नूर” तुम पर न ज़ाया करेंगे…