२१२२/२१२२/२१२२
बेड़ियाँ टूटी हैं बोलो कब स्वयम् ही मुक्ति को उठना पड़ेगा अब स्वयम् ही।१। * बाँधकर उत्साह पाँवों में चलो बस पथ सहज होकर रहेंगे सब स्वयम् ही।२। * पहरूये ही सो गये हों जब चमन के है जरूरत जागने की तब स्वयम् ही।३। * अब न आयेगा यहाँ अवतार हमको करने होंगे मान लो करतब स्वयम् ही।४। * कल जो सेवक हैं कहा करते थे देखो हो गये है आज वो साहब स्वयम् ही।५। * बोलना सच उन के सम्मुख व्यर्…