वज़्न -2122 2122 2122 212
ख़ुद को उनकी बेरुख़ी से बे- ख़बर रहने दिया उम्र भर दिल में उन्हीं का मुस्तक़र* रहने दिया (ठिकाना)
उनकी नज़रों में ज़बर होने की ख़्वाहिश दिल में ले हमने ख़ुद को ज़ेर उनको पेशतर रहने दिया
उम्र का तन्हा सफ़र हमने किया यूँ शादमाँ उनकी यादों को ही अपना हमसफ़र रहने दिया
उनसे मिलकर जो कभी होती थी इस दिल को नसीब अपने ख़्वाबों को उसी राहत का घर रहने दिया
वो न आएँगे शब- ए- फ़ुर…