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खोजने जाऊँ कहाँ जान से प्यारे आँसू ढल गये आँख से चुपचाप हमारे आँसू इस तरह देख सकूँगा न बिखरते इनको कितना टूटे हैं तो आँखों में सँवारे आँसू शब अँधेरी है हवा सर्द तसव्वुर उनका याद मीठी है बड़ी और हैं खारे आँसू मुझको भाती नहीं ये बोलती पुरनम आँखें काश आँखों से चुरा लूँ मैं तुम्हारे आँसू ये भला कौन सा इंसाफ हुआ उल्फ़त में
की ख़ता दिल ने …