कैसे अपने देश की नाव लगेगी पार?पढ़ा रहे हैं जब सबक़ राजनीति के घाघ
जिनके हाथ भविष्य की नाव और पतवारवे युवजन हैं सीखते गाली के अम्बार
अपने को कविवर समझवाणी में विष घोलमानें बुध वह स्वयं को उनके बिगड़े बोल
वेद , पुराण, उपनिषदसत्य सनातन भाष्यसमझ सके न आज भी
साल पचहत्तर बाद
मौलिक एवं अप्रकाशित