ग़ज़ल :- बाढ़ का हद से गुजरना अच्छा
बाढ़ का हद से गुजरना अच्छा ,
गाँव का फिर से संवरना अच्छा |
इस जगह माँ की याद आती है ,
इस जगह थोडा ठहरना अच्छा |
सिर्फ ख्वाबों का बसर होता है ,
रात का सुबह बिखरना अच्छा |
वस्ल का वायदा मुझसे लेना ,
और फिर उसका मुकरना अच्छा |
लहरें तह तक खंगाल देती हैं ,
कश्तियाँ देखकर डरना अच्छा |
झूठ के भीड़ की घुटन सच है ,
ऐसे जीने से तो मरना अच्छा |
सूरतें हो गयी…