माना की तुम भूल गए हो ,
दिलों दिमाग से खुल गए हो |
वो भी कुछ कम नहीं थे ,
पर दिमाग में उनके बल नहीं थे
तीन रंग उनकी कमजोरी थी ,
खेली खून की होली थी |
वो कहते ये चिर है माँ का ,
शहीद हुए जो धीर थे माँ का ,
जिसके लिए वो जान गवां दी
अपनी माँ की वस्त्र बचा दी
इसको थोड़ी पहचान दो ,बेटे
तीन रंग को सम्मान दो ,बेटे !!
.....रीतेश सिंह