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इक दुआ हमने उम्र भर माँगी ।
अपने दिल मेँ तेरी बसर माँगी ।
पंछी नदियाँ जमीँ फलक तारे ,
हमने सबसे तेरी खबर माँगी ।
बात काँटोँ ने क्या गलत कर दी ,
इक कली गर जो शाख पर माँगी ।
हर तरफ तू ही तू नजर आये ,
देने वाले से वो नजर माँगी ।
कोई पूछे जो गर सफर अपना ,
तेरी जानिब मेँ हर डगर माँगी ।
मौलिक व अप्रकाशित
नीरज मिश्रा