दूर रह के हमें मिला क्या है।
आज कहने दो कायदा क्या है।।
मौसमो की जुबनियाँ सुन लो।
कह रहा है जो वो नया क्या है।।
थाम सकता हूँ उसके दामन को।
प्यार जो हो गया बुरा क्या है।।
खिल खिलाया करो कभी खुलकर।
इश्क हो तुम मेरा हया क्या है।।
हम सभल जाए राहें उल्फत में
रोज मरने से फायदा क्या है।।
अप्रकाशित ...आमोद बिन्दौरी