फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन/फ़इलुन
मिट गये नक़्श सभी दिल के दिखाऊँ कैसे
एक भुला हुआ क़िस्सा मैं सुनाऊँ कैसे
जा चुका है जो सभी तोड़के रिश्ते मुझसे
सोचता हूँ उसे आवाज़ लगाऊँ कैसे
अहमियत दिल की यहाँ लोग समझते ही नहीं
उनको इस बात का अहसास दिलाऊँ कैसे
तिश्नगी उसकी बुलाती है इशारों से मुझे
मैं समन्दर की भला प्यास बुझाऊँ कैसे
प्यार का कोई तलबगार नहीं दुनिया में
इस ख़ज़ाने को मैं 'संतोष' लु…