नजर अपनी उठा लो तो गिले शिकवे भुला लूँ मैंमुझे बस एक पल दे दो है क्या दिल में बता लूँ मैं
निगाहें तो मिला लेता मगर ये खौफ है दिल मेंकही ऐसा न हो दिल का चमन खुद ही जला लूँ मैं
कभी तो मेरी गलियों से मेरा वो यार गुजरेगामेरा भी फ़र्ज़ बनता है गुलों से रह सजा लूँ मैं
तुम्हारे पग जहाँ पड़ते वहीं पर फूल खिल जातेहै हसरत दिल के सहारा में हसीं गुल इक ऊगा लूँ मैं
अगर ओंठों से निकली शै तो हंगामा खड़ा होगाउन्…