Neelam Dixit's Posts - Open Books Online2024-03-29T06:35:31ZNeelam Dixithttp://openbooksonline.com/profile/NeelamDixithttp://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/3737609694?profile=RESIZE_48X48&width=48&height=48&crop=1%3A1http://openbooksonline.com/profiles/blog/feed?user=1uojm0mrpk9lp&xn_auth=noगीत- नेह बदरिया नीर नदी बनtag:openbooksonline.com,2020-07-09:5170231:BlogPost:10119332020-07-09T17:56:14.000ZNeelam Dixithttp://openbooksonline.com/profile/NeelamDixit
<p>नेह बदरिया नीर नदी बन<br></br>आंखों आंखों स्वप्न सधे हैं<br></br>काजल की काली रेखाएं<br></br>सरिता पर ज्यूँ बांध बांधें हैं।</p>
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<p>नख बन भाव कुरेदें बातें<br></br>यादें मोहक धूमिल छवि की<br></br>टूट रहे पतवार हृदय के<br></br>तूफानी लय है सांसों की</p>
<p>पर्वत से तटबंध दिलों पर<br></br>सकुचाते उदगार बंधें हैं।</p>
<p>काजल की काली रेखाएं<br></br>सरिता पर ज्यूँ बांध बांधें हैं।</p>
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<p>मुनरी कंगन छागल बिछुए<br></br>सबकी सबसे रार हुई है<br></br>गजरे की अनबन बालों से<br></br>अबकी पहली बार हुई है</p>
<p>आतुर है श्रृंगार…</p>
<p>नेह बदरिया नीर नदी बन<br/>आंखों आंखों स्वप्न सधे हैं<br/>काजल की काली रेखाएं<br/>सरिता पर ज्यूँ बांध बांधें हैं।</p>
<p></p>
<p>नख बन भाव कुरेदें बातें<br/>यादें मोहक धूमिल छवि की<br/>टूट रहे पतवार हृदय के<br/>तूफानी लय है सांसों की</p>
<p>पर्वत से तटबंध दिलों पर<br/>सकुचाते उदगार बंधें हैं।</p>
<p>काजल की काली रेखाएं<br/>सरिता पर ज्यूँ बांध बांधें हैं।</p>
<p></p>
<p>मुनरी कंगन छागल बिछुए<br/>सबकी सबसे रार हुई है<br/>गजरे की अनबन बालों से<br/>अबकी पहली बार हुई है</p>
<p>आतुर है श्रृंगार मिलान को<br/>लोक लाज के बांध बंधें हैं।</p>
<p>काजल की काली रेखाएं<br/>सरिता पर ज्यूँ बांध बांधें हैं।</p>
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<p>'मौलिक व अप्रकाशित'</p>
<p>नीलम दीक्षित.</p>
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