Abha Chandra's Posts - Open Books Online2024-03-28T22:22:13ZAbha Chandrahttp://openbooksonline.com/profile/AbhaChandrahttp://storage.ning.com/topology/rest/1.0/file/get/2991293102?profile=RESIZE_48X48&width=48&height=48&crop=1%3A1http://openbooksonline.com/profiles/blog/feed?user=3ax51omkt3jal&xn_auth=noब्रेकिंग न्यूज़tag:openbooksonline.com,2016-06-03:5170231:BlogPost:7729562016-06-03T10:30:00.000ZAbha Chandrahttp://openbooksonline.com/profile/AbhaChandra
<p><span>"अबे तू मुंह बन्द करके बैठेगा, देखता नहीं बड़े लोग आपस में बात कर रहे हैं"</span></p>
<p><span>थानेदार ने घुड़की पिलाई और पत्रकार मित्र की ओर खींसे निपोरी। बेचारा शंकरा और सिमट गया, मुलिया ने बारह वर्षीया चुन्नी के पैरों पर का कपड़ा ठीक किया और बड़बड़ाने लगी दिमाग ठिकाने नहीं था उसका जब से बेटी की ऐसी हालत देखी थी चारों तरफ लाल ही रंग दिख रहा था उसे। पत्रकार महोदय ने कहा:</span></p>
<p><span>"ये तो और भी अच्छा है कि शंकरा नेता जी के घर के पास वाली झुग्गियों में रहता है नहीं तो चैनल…</span></p>
<p><span>"अबे तू मुंह बन्द करके बैठेगा, देखता नहीं बड़े लोग आपस में बात कर रहे हैं"</span></p>
<p><span>थानेदार ने घुड़की पिलाई और पत्रकार मित्र की ओर खींसे निपोरी। बेचारा शंकरा और सिमट गया, मुलिया ने बारह वर्षीया चुन्नी के पैरों पर का कपड़ा ठीक किया और बड़बड़ाने लगी दिमाग ठिकाने नहीं था उसका जब से बेटी की ऐसी हालत देखी थी चारों तरफ लाल ही रंग दिख रहा था उसे। पत्रकार महोदय ने कहा:</span></p>
<p><span>"ये तो और भी अच्छा है कि शंकरा नेता जी के घर के पास वाली झुग्गियों में रहता है नहीं तो चैनल मुझे नौकरी से ही निकाल देता अब लपेटता हूं नेता जी को भी आखिर मुझे भी तो प्रमोशन चाहिये। फोटो दिलवाओ ज़रा भाई साब" उसने थानेदार से कहा।</span></p>
<p><span>फोटोग्राफर ने दर्द से तड़पती चुन्नी के पैर से कपड़ा ऊपर किया और कहा अरे फोटो तो ठीक से लेने दो लोगों की सहानुभूति कैसे मिलेगी। मुलिया रात को हैवानियत का शिकार हुयी चुन्नी पर और भी झुक गयी जैसे पूरा का पूरा ढक लेगी अपनी लाड़ली को।</span></p>
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<p><span>(मौलिक और अप्रकाशित)</span></p>
<p><span>आभा चन्द्रा</span></p>अस्तित्वtag:openbooksonline.com,2015-09-09:5170231:BlogPost:6958662015-09-09T10:30:00.000ZAbha Chandrahttp://openbooksonline.com/profile/AbhaChandra
<p>छलछलाई आँखों से <br></br> मुस्कराई आँखों से <br></br> विदा दी देहरी ने <span class="text_exposed_show"><br></br> चल पड़ी मैं......</span></p>
<div class="text_exposed_show"><p>छलछलाई आँखों से <br></br> मुस्कराई आँखों से <br></br> स्वागत किया देहरी ने <br></br> हंस पड़ी मैं.........</p>
<p>रंगोली सजाने लगी <br></br> वंदनवार लगाने लगी<br></br> सज गयी देहरी <br></br> रम गयी मैं........</p>
<p>प्रीत ने बहका दिया <br></br> मीत ने महका दिया<br></br> लहरा गया आँचल <br></br> संवर गयी मैं........</p>
<p>ममता ने निखार दिया <br></br> आँचल भी संवार…</p>
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<p>छलछलाई आँखों से <br/> मुस्कराई आँखों से <br/> विदा दी देहरी ने <span class="text_exposed_show"><br/> चल पड़ी मैं......</span></p>
<div class="text_exposed_show"><p>छलछलाई आँखों से <br/> मुस्कराई आँखों से <br/> स्वागत किया देहरी ने <br/> हंस पड़ी मैं.........</p>
<p>रंगोली सजाने लगी <br/> वंदनवार लगाने लगी<br/> सज गयी देहरी <br/> रम गयी मैं........</p>
<p>प्रीत ने बहका दिया <br/> मीत ने महका दिया<br/> लहरा गया आँचल <br/> संवर गयी मैं........</p>
<p>ममता ने निखार दिया <br/> आँचल भी संवार दिया<br/> अंतस प्यार भर आया <br/> चहक पड़ी मैं.......</p>
<p>दिनोदिन बीते घर रीते <br/> साथी छूटा ममता व्यस्त<br/> बिखर गया सब <br/> अब सोचूं कौन हूँ मैं <br/> कौन हूँ मैं ??</p>
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<p>(मौलिक और अप्रकाशित)</p>
<p>आभा..</p>
<p>9/9/15</p>
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