For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

March 2010 Blog Posts (28)

यह अमर निशानी किसकी है? ( माखनलाल चतुर्वेदी)

यह अमर निशानी किसकी है?

बाहर से जी, जी से बाहर-

तक, आनी-जानी किसकी है?

दिल से, आँखों से, गालों तक-

यह तरल कहानी किसकी है?

यह अमर निशानी किसकी है?



रोते-रोते भी आँखें मुँद-

जाएँ, सूरत दिख जाती है,

मेरे आँसू में मुसक मिलाने

की नादानी किसकी है?

यह अमर निशानी किसकी है?



सूखी अस्थि, रक्त भी सूखा

सूखे दृग के झरने

तो भी जीवन हरा ! कहो

मधु भरी जवानी किसकी है?

यह अमर निशानी किसकी…
Continue

Added by Admin on March 14, 2010 at 8:50am — 2 Comments

गरीबी..

इक कमरे का है ये मकाँ...


यहाँ आदमियों की जगह नहीं,


खाने को दो दिनों की भूख है


पीने को रिस-रिसकर बहता पानी


बेरंग सी दीवारों की मुन्तज़िरी,


औ छत की रोती सी दीवारें


गोशों में…
Continue

Added by विवेक मिश्र on March 12, 2010 at 12:00am — 6 Comments

ज़िन्दगी की किताब से (रजनी छाबरा)

ज़िन्दगी की किताब से

-------------------

ज़िन्दगी की किताब से

फट जाता है जब

कोई अहम पना

अधूरी रह जाती है

जीने की तमन्ना

कभी कभी बागबान से

हो जाती है नादानी

तोड़ देता है ऐसे फूल को

जिसके टूटने से

सिर्फ शाख ही नहीं

छा जाती है

सारे चमन में वीरानी

रह जाता है मुरझाया पौधा

सीने में छुपाये

दर्द की कहानी

जिस पौध को पानी की बजाए

सींचना पड़ता हो

अश्कों ओर नए खून से

उस दर्द के पौधे का

अंजाम क्या… Continue

Added by Admin on March 11, 2010 at 10:30pm — 6 Comments


मुख्य प्रबंधक
साधु बन बोले राम राम

जिन्दगी आधी बीत गई,

कभी न किया धर्म का काम,

पूलिस पिछे जब पड़ी तो,

साधु बन बोले राम राम,



लूट मार, चोरी डकैती,

किये बहुत कुकर्म मे नाम,

सभी पाप छिप गया,

जनता पूजे अब सुबह शाम,



जनता पूजे सुबह शाम,

अब मजा ही मजा है,

पहले पुलिस से छुप के,

करना पड़ता था गन्दा काम,

अब नेता पुलिस करते रखवाली,

खुब है ऐशोआराम,



खुब है ऐशोआराम,

आप भी बाबा के बन…

Continue

Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 11, 2010 at 7:00am — 1 Comment

का पूछातानी सम्राट जी ?

लोटे बिन चलता नहीं किसका जग में काम!

जिस पशु को माता कहे उसका क्या है नाम !!

उसका क्या ही नाम क्योन पशु मिमियाता है !

भुन्का करता क्योन,क्योन पच्छी गाता है !!

पूछे सम्राट जी ,मिले क्या सिक्के खोटे!

क्या पानी या ढूध,भरा करते है लोटे !!









सोते जागते जिव सब ,क्या लेते है चीज !

धोकर क्या तुम पहनते ,चड्ढी ,पैंट कमीज !!

चड्ढी पैंट कमीज ,साफ क्या पहनो टाई!

मलिन कपडे जब धरो ,मीत क्या करे खिचाई !

पूछे सम्राट जी ,बिना कारन क्या रोते… Continue

Added by santosh samrat on March 10, 2010 at 10:24am — 5 Comments


मुख्य प्रबंधक
मेरी नादानी

मेरी पहली कविता जो मैने १९९६ मे लिखी थी  .....





भूली मुहब्बत की दास्तान हो तुम ,
जहाँ सूरज चाँद सितारे न हो…
Continue

Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 9, 2010 at 9:00am — 1 Comment

जिन्दगी ,By Guru Jee

जिन्दगी ,
इस उम्र की इस पराव पर ,
मुझे अब लगाने लगा हैं ,
जिन्दगी एक खुबसूरत ख्वाब हैं ,
और मैं इस ख्वाब को ,
खूबसूरती से जीना चाहता हूँ ,
जिन्दगी ,
इसी का नाम हैं ,
जो जीने के लिए ,
उत्साहित करे ,
औरो के लिए ,
कुछ करने की तमन्ना हो ,
जिन्दगी ,
दोस्तों की दोस्ती ,
अपनो की अपनापन ,
दुस्मानो से सिख ,
गैरो से मुहबत ,
समझ जिन्दगी की ,
इस उम्र की इस पराव पर ,

Added by Rash Bihari Ravi on March 8, 2010 at 7:46pm — 3 Comments

अग्नि परीक्षा ( हरिवंशराय बच्चन )

यह मानव की अग्नि-परीक्षा।



बढ़ती हैं लपटें भयकारी

अगणित अग्नि-सर्प-सी बन-बन,

गरुड़ व्यूह से धँसकर इनमें

इनका कर स्वीकार निमंत्रण;

देख व्यर्थ मत जाने पाये विगत युगों की शीक्षा-दीक्षा।

यह मानव की अग्नि-परीक्षा।



सच है, राख बहुत कुछ होगा

जिस पर मोहित है तेरा मन,

किंतु बचेगा जो कुछ, होगा

सत्य और शिव, सुंदर कंचन;

किंतु अभी तो लड़ ज्वाला से, व्यर्थ अभी अज्ञात-समीक्षा।

यह मानव की अग्नि-परीक्षा।



खड़े स्वर्ग में बुद्ध,… Continue

Added by Admin on March 7, 2010 at 9:29pm — 2 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
5 hours ago
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
21 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service