For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

March 2022 Blog Posts (55)

रोला छंद .....

रोला छंद :-

धड़की बन कर याद , सुहानी  वो  बरसातें  ।

दो अधरों की पास, सुलगती दिल की बातें ।

अनबोली  वो  बात, प्यार का बना फसाना ।

धड़के दिल के पास, मिलन का वही तराना ।

-----------------------------------------------------

दिन भर करते पाप, शाम को फेरें  माला ।

उपदेशों  के  संत, साँझ को  पीते  हाला  ।

पाखंडी  संसार , यहाँ  सब   झूठे  मेले   ।

ढोंगी करता मौज , सज्जन दु:ख ही झेले ।

सुशील सरना / 31-3-22

मौलिक एवं…

Continue

Added by Sushil Sarna on March 31, 2022 at 3:00pm — 6 Comments

अंध विश्वास

मैंने देखा है जहाँ में लोग दो तरह के है

हाँ यहाँ पर हर किसी को रोग दो तरह के है

एक को लगता है जैसे सब देवता के हाथ है

एक को लगता सबकुछ दानवो के साथ है

 

मन के विश्वास को कोई आस्था बता रहा

दूसरा अपने भरम को सत्य से छिपा रहा

लोगों के आस्था का यहाँ हो रहा व्यापार है

हर गली में पाखंडियों का लग रहा बाज़ार है…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 31, 2022 at 10:14am — 2 Comments


सदस्य कार्यकारिणी
पंख था कतरा हुआ : ग़ज़ल (मिथिलेश वामनकर)

2122 - 2122 - 2122 - 212

ये उड़ानों का भला फिर हौसला कैसा हुआ।

आपने जो भी दिया हर पंख था कतरा हुआ।

देखिए विज्ञापनों का दौर ऐसा आ गया

काम होने से जरूरी है दिखे होता हुआ।

जब रपट आई तो सारे एक स्वर में कह गए

कुछ हुआ हो ना हुआ हो आंकड़ा अच्छा हुआ।

चूर कर दी शख्सियत यूं जख्म भी दिखता नहीं

ये तरीका चोट करने का बहुत संभला हुआ।

दे रहें हैं आप लेकिन मिल न पाया आज तक

आपका सम्मान भी लगता है बस मिलता…

Continue

Added by मिथिलेश वामनकर on March 30, 2022 at 6:11pm — 11 Comments

बस कुछ दिनों की बात है

बस कुछ दिनों की बात है, ये वक़्त गुज़र जाएगा

मौत के अंधेरे को चीर के फिर उजला सवेरा आएगा

समय सब्र रखने का है, एक व्रत रखने का है

अगर संयम से चले हम तो फिर ये संकट भी टल जाएगा

बस कुछ ................................................

है प्रार्थना सभी से मिलकर साथ रहो तुम सब

बहूत देख लिया जग हमने, बस घर मे रहो सारे…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 30, 2022 at 10:20am — 3 Comments

युद्ध के विरुद्ध हूँ मैं

युद्ध के विरुद्ध हूँ मैं …

Continue

Added by amita tiwari on March 30, 2022 at 12:00am — 5 Comments

2-रोला छंद .....

रोला छंद .....

मधुशाला में जाम, दिवाने लगे  उठाने ।
अपने -अपने दर्द, जाम में लगे भुलाने ।
कसमें वादे प्यार ,सभी  हैं  झूठी  बातें ।
आँसू आहें अश्क, प्यार की हैं  सौग़ाते ।
-----------------------------------------------
दमके  ऐसे  गाल, साँझ की  जैसे  लाली ।
मृग शावक सी चाल ,चले देखो मतवाली ।
मदिरालय  से  नैन, करें  सबको  दीवाना ।
अधरों पर मुस्कान, प्यार का मधुर तराना ।

सुशील सरना / 29-3-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on March 29, 2022 at 9:40pm — 6 Comments

वेदना का वज़्न

दिशाविहीन

दयनीय दशा

दुख में वज़्न

दुख का वज़्न

व्यथित अनन्त प्रतीक्षा

उन्मूलित, उचटा-सा है मन

कि जैसे रिक्त हो चला जीवन

खाली लगती है…

Continue

Added by vijay nikore on March 29, 2022 at 2:33pm — 11 Comments

सब कुछ पहले जैसा

कजरा वही गज़रा वही आँखों में है नर्मी वही

पायल वही झुमका वही साँसों में है गर्मी वही

टिका वही बिंदी वही गालो में है लाली वही

काजल वही कंगन वही कानो में है बाली वही

चुनड़ वही घागर वही कमर पर है गागर वही

ताल वही और चाल वही घुँघराले से बाल वही

रूप वही और रंग वही चोली अबी भी तंग वही

अंग वही और ढंग वही रहती हरदम है संग…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 29, 2022 at 10:25am — 12 Comments

अहसास की ग़ज़ल::; मनोज अहसास

2×15

दूर कहीं पर धुंआ उठा था दम घुटता था मेरा भी

ख़्वाब में मैंने देख लिया था दिल सुलगा था मेरा भी

एक अदद मिसरा जो दिल से निकले और पहुँचे दिल तक

हर सच्चे शाइर की तरहा ये सपना था मेरा भी

टुकड़े टुकड़े दिल है पर मरने की चाह नहीं होती

तेरे अहसानों के बदले इक वादा था मेरा भी

मेरी आँखों की लाचारी तुम भी समझ नहीं पाए

खारे पानी के दरिया में कुछ हिस्सा था मेरा भी

दिल को यही दिलासा देकर काट रहा हूँ तन्हाई

इस मिट्टी के…

Continue

Added by मनोज अहसास on March 29, 2022 at 12:18am — 6 Comments

नारी जीवन

किवाड़ के खड़कने के आवाज़ पर

दौड़ कर वो कमरे में चली गयी

आज बाबूजी कुछ कह रहे थे माँ से

अवाज़ थी, पर जरा दबी हुई

 

बात शादी की थी उसकी चल पड़ी

सुनकर ये ख़बर जरा शरमाई थी

आठवीं जमात हीं बस वो पढ़ी थी

चौदह हीं तो सावन देख पाई थी

 

हाथ पिले करना उसके तय रहा

बात ये बाबूजी जी ने उससे कह…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 28, 2022 at 10:25am — 2 Comments

पाँच दोहे

 घटा - घोप   अन्धेर  है, कहीं    न   पहरेदार ।

 तक्षक  बनता काल है, क्या  होगा  घर-बार ।। ( 1 )

+++++++++++++++++++++++++ 

 

नागफनी  वन हो गये, जंगल  ...नम्बरदार  ।

बना कैक्टस मुँहलगा, फुदकता - बार  बार ।।   ( 2 )

++++++++++++++++++++++++++++++

रोशन  जो  दिखती  नहीं, गाँव  सखा  तक़दीर  ।

बुझा- बुझा सा मन हुआ, सोच  रहा ताबीर  ।।  ( 3…

Continue

Added by Chetan Prakash on March 27, 2022 at 12:30am — 2 Comments

यथार्थ के दोहे. . . . . .

यथार्थ के दोहे .....

पाप पंक पर बैठ कर ,करें पुण्य की बात ।

ढोंगी लोगों से मिलेेें, सदा यहाँ आघात ।।

आदि -अन्त के भेद को, जान सका है कौन ।

एक तीर पर शोर है, एक तीर पर मौन ।।

आदि- अन्त का ग्रन्थ है, कर्मों का अभिलेख ।

जन्म- जन्म की रेख को,देख सके तो देख ।।

कितना टाला आ गई, देखो आखिर शाम ।

दूर क्षितिज पर दिख रहा, अब अन्तिम विश्राम ।।

तृप्ति यहाँ आभास है, तृष्णा भी आभास …

Continue

Added by Sushil Sarna on March 26, 2022 at 3:30pm — 13 Comments

पाप. . . . .

पाप.....

कितना कठिन होता है

पाप को परिभाषित करना

क्या

निज स्वार्थ के लिए 

किसी के  उजाले को

गहन अन्धकार के नुकीले डैनों से

लहूलुहान कर देना

पाप है

क्या

अपने अंतर्मन की

नाद के विरुद्ध जाना

पाप है

क्या

किसी की बेबसी पर 

अट्टहास करना

पाप है

क्या

अन्याय के विरुद्ध  मौन धारण कर

नज़र नीची कर के निकल जाना

पाप है

वस्तुतः

सोच से निवारण तक …

Continue

Added by Sushil Sarna on March 25, 2022 at 8:14pm — 2 Comments

एक दिन स्वर्ग में (आशीष यादव)

एक दिन स्वर्ग में घूमते-घूमते

एक जगह रुक्मिणी राधिका से मिली

एक दिन स्वर्ग में……………

सैकड़ों प्रश्न मन में समेटे हुए

श्याम की प्रीत तन पर लपेटे हुए

जोड़कर हाथ राधा के सम्मुख वहाँ

एक रानी सहज भावना से मिली

एक दिन स्वर्ग में …………….

देखकर राधिका झट गले लग गई

साँवरे की महक से सुगंधित हुई

प्रीत की प्रीत में घोलकर मन, बदन

साधना प्रीत की साधना से मिली

एक दिन स्वर्ग में……………

भेँटना हो गया बात होने…

Continue

Added by आशीष यादव on March 25, 2022 at 1:30pm — No Comments

ज़िंदगी की तलाश

ना खबर है राह की ना मजिंल का ठिकाना है

खुद की तलाश में हम खुद को भुलाए जा रहे है

नज़्म है कोई ना कोई गुंज़ाइश-ए तराना है

अंजान अल्फ़ाज़ को खुदका बताए जा रहे है

फलक के अक्स में हम तैरते हुए

उस पार हो भी…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 25, 2022 at 10:30am — No Comments

चन्द्र

विरहणी; भाई ,पति का

संदेश तुम्ही से कहती थी

अपने भावों को पहुँचाने

तुम्हे निहोरा करती थी



स्वर्ण रश्मियों की डोरी से

चन्द्र उतर कर तुम आते

तपते मन के ज़ख़्मों पर…

Continue

Added by Usha Awasthi on March 24, 2022 at 11:05am — 2 Comments

चरित्रहीन

चार दिन भी हुए नहीं ब्याह के उसको आए हुए

उसके नाम की चर्चा में हैं मनचले बौहराये हुए

बस्ती में चर्चा है काफी उसके लम्बे बालों की

लोग तारीफे कर रहे हैं उसके गोरे गालों की

पति प्रेम है उसका सच्चा, तन से है वो थोड़ा कच्चा

अगन प्यास की बुझा ना पाए, है अकल से पूरा बच्चा

तन की प्यास बुझाने को वो दिल ही दिल में व्याकुल…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 24, 2022 at 10:55am — No Comments

घर वापसी

आज का दिन है बड़ा सुहाना, हवा में खुशियां फैली है

आओ मिलकर ख़ुशी मनाए, घाटी ने बाहें खोली है

सत्तर साल से जिन पैरों को, जंजीरों ने जकड़ा था

घाटी के दामन को अब तक, जिन धाराओं ने पकड़ा था

ख़त्म हुआ अनुच्छेद आज वो, अब तुम खुलकर साँसे लो

कदम बढ़ाओ तुम भी आगे, इस राष्ट्र पुरुष (अखण्ड भारत) के संग हो लो

शायद थोड़ी देर हुई है, ये पहले ही हो जाना…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 23, 2022 at 10:04am — 2 Comments

रोला छंद ......

रोला छंद .....

साबुन बचा न शेष, देह काली  की  काली ।
पहन हंस  का भेष , मनाये  काग  दिवाली ।
नकली जग के फूल, यहाँ का नकली माली।
सत्य  यहाँ पर मौन , झूठ की बजती ताली ।
------------------------------------------ ----------

खूब  किया  शृंगार, लगाई  बिन्दी   लाली ।
घरवाली को छोड़ ,सजन को भायी साली ।
रखना लेकिन याद ,काम अपने ही  आते ।
ऐसे  झूठे  साथ , बाद  में  बहुत   रुलाते  ।

सुशील सरना / 22-3-22

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Added by Sushil Sarna on March 22, 2022 at 4:53pm — 6 Comments

नेता के बोल

(वोट के पहले)

वोट माँगने आए हैं, जोड़ कर दोना हाथ

बोले कभी न छोड़ेंगे, हम जनता का साथ

इस जनता का साथ, कभी जो हमने छोड़ा

उम्मीदों का तार, जैसे हो हम हीं ने तोड़ा

भूखा होगा कोई ना, ना सोएगा खाली पेट

हर कोई शिक्षा पाएगा, विद्यालय में…

Continue

Added by AMAN SINHA on March 22, 2022 at 10:30am — No Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
17 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
8 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service