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Rahila's Blog – September 2017 Archive (4)

विकास का सफ़र (व्यंग्य)राहिला

छः पहियाँ की रेलगाड़ी ,

पब्लिक उसमें बैठी ,ठाड़ी।

आगे -पीछे ,ऊपर- नीचे,

भरे पड़े थे नर और नारी।।



दबा-दबा के ठसा -ठसा के ,

मुँह सुकोड़े नाक दबा के।

एक पे पांच, एक पे पाँच

कंडेक्टर ठूँसे बुला- बुला के।।



पसीना चू रहा ,आ रही बास,

बीड़ी जल रही आस -पास।।

उसपर चूरन कृपा हत्यारी,

दूभर हो गया लेना सांस।।



पंखा झल रहे, फूं-फूं कर रहे,

बच्चा बिलख कर कूं -कूं कर रहे।।

क्वार महीना,चटक पसीना

बस में सब अंडे से उबल… Continue

Added by Rahila on September 30, 2017 at 9:51pm — 10 Comments

लंपा(लघुकथा)राहिला

पिताजी चाहे सही करें या गलत, बड़की बुआ के लिए तो वह हमेशा सीधे सच्चे और साधु ही थे ।मज़ाल कि एक शब्द भी उनके खिलाफ सुन लें।

"ऐसा है कुसुम कुमारी!पिछले जनम में मोती दान किये होंगे ,तभई छुटके जैसन पति मिला।ये फिजूल का रोना- धोना करके छुटके की छवि मटियामेट करवे की कोशिश ना करो ।कछु समझी का नहीं?"

पिताजी का इस तरह पक्ष लेने पर सब्जी काटती सुगंधा अंदर तक सुलग गयी।

"जिज्जी मैं कब किसी से कुछ कह रही हूं?"उसने पल्लू से नीला पड़ा बाजू ढँकते हुए कहा।

"मेरे सामने बनो मत !खूब जान…

Continue

Added by Rahila on September 27, 2017 at 9:16pm — 14 Comments

*अनुवांशिक गुण*(लघुकथा)राहिला

पिताजी हमेशा के लिए शांत हो चुके थे ।और अपने पीछे छोड़ गए थे अपने ग़ुस्सैल स्वभाव ,बुरी आदतों और थोपे गए फैसलों के अनगिनत किस्से ।साथ ही बड़े और मंझले भाई के रूप में अपनी छाया।लेकिन अपने गिरेवान में झांकने की जुर्रत कौन करता ।भूल से यदि कोई उन्हें आईना दिखा देता, तो झट अनुवांशिक लक्षणों की आड़ में ठीकरा, पिता के सिर पर फूटता ।आज पिताजी के फूल थे।और घर की बैठक में घरु लोगों की बैठक जमी थी।

"अब बुआ !मुझे कोई क्यों दोष दे,गुस्सा तो पिताजी की ही देन है ।स्वभाव और व्यक्तित्व एक दिन में थोड़ी ना बन… Continue

Added by Rahila on September 11, 2017 at 1:30pm — 10 Comments

नई लकीर (लघुकथा)राहिला

"बेटा !बात हमारी गैरहाजिरी में उसे घर लाने की है।"

"तो मैं क्या करती अम्मी?आप ही बताएं ।उसे इस हाल में छोड़ा जा सकता था क्या?शुभम और रोहित से बोला था मैनें इसे एक दिन के लिए अपने घर पर रख लें, लेकिन उनके पास भी अपनी वाजिब वजहें थीं"

"ये सब मैं नहीं जानती शमा!तुम्हारे अब्बू को जब पता लगेगा की हमारी गैरहाजिरी में तुमने... "

"तो क्या गलत किया अम्मी?"

वह माँ की बात बीच में काट कर बोली।

"एक भी दिन का नागा ना करने वाला लड़का, चार दिन से ना स्कूल आया ना ट्यूशन।तब कहीं जाकर…

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Added by Rahila on September 5, 2017 at 12:29pm — 11 Comments

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