For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Naveen Mani Tripathi's Blog – November 2017 Archive (12)

हो भी सकता है

1222 1222 1222 1222

तुम्हारे जश्न से पहले धमाका हो भी सकता है ।

ये हिंदुस्तान है प्यारे तमाशा हो भी सकता है ।।



अभी मत मुस्कुराओ आप इतना मुतमइन होकर ।

चुनावों में कोई लम्बा खुलासा हो भी सकता है ।।



ये माना आप ने हक़ पर लगा रक्खी है पाबन्दी ।

है मुझमें इल्म गर जिंदा गुजारा हो भी सकता है ।।



मिटा देने की कोशिश कर मगर वो जात ऊंची है ।

खुदा को रोक ले उसका सहारा हो भी सकता है ।।



न मारो लात पेटों पर यहां भूखे सवर्णो के ।

कभी सरकार… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 30, 2017 at 5:30pm — 4 Comments

अब न कोई जंग हारा कीजिये

2122 2122 212

अब न कोई जंग हारा कीजिये ।।

अब बुलन्दी पर सितारा कीजिये ।



चाहिए गर कामयाबी इश्क़ में ।

रात दिन चेहरा निहारा कीजिये ।।



चाँद को ला दूं जमी पर आज ही ।

आप मुझको इक इशारा कीजिये ।।



बेखुदी में कह दिया होगा कभी ।

बात दिल मे मत उतारा कीजिये ।।



पालिये उम्मीद मत सरकार से ।

जो मिले उसमे गुजारा कीजिये ।।



ले लिए हैं वोट सारे आपने ।

काम भी कुछ तो हमारा कीजिये ।।



अब मुकर जाते हैं अपने, देखकर… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 28, 2017 at 2:00am — 13 Comments

ग़ज़ल- पक्की अभी ज़ुबान नहीं है

22 22 22 22



जिंदा क्या अरमान नहीं है ।

तुझमें शायद जान नहीं है ।।



कतरा कतरा अम्न जला है ।

अब वो हिंदुस्तान नहीं है ।।



एक फरेबी के वादों से ।

ये जनता अनजान नहीं है ।।



कौन सुनेगा तेरी बातें ।

सच की अब पहचान नहीं है।।



जरा भरम से निकलें भाई ।

टैक्स तेरा आसान नहीं है ।।



रोज कमाई गाढ़ी लुटती ।

मत समझो अनुमान नहीं है ।।



पढलिख कर वो बना निठल्ला।

क्या तुमको संज्ञान नहीं है ।।



कुर्सी… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 27, 2017 at 9:00pm — 7 Comments

अश्क़ आंखों से उतर गाल पे आया होगा

2122 1122 1122 22



गर शराफ़त में उसे सर पे बिठाया होगा ।

ज़ुल्म उसने भी बड़े शान से ढाया होगा ।।



लोग एहसान कहाँ याद रखे हैं आलिम ।

दर्द बनकर वो बहुत याद भी आया होगा ।।



हिज्र की रात के आलम का तसव्वुर है मुझे ।

आंख से अश्क़ तिरे गाल पे आया होगा ।।



मुद्दतों बाद तलक तीरगी का है आलम ।

कोई सूरज भी वो मगरिब में उगाया होगा ।।



कर गया है वो मुहब्बत में फना की बातें ।

फिर शिकारी ने कहीं जाल बिछाया होगा ।।



कत्ल करने का… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 26, 2017 at 1:30am — 9 Comments

ग़ज़ल

2122 1212 22

उसकी खुशबू तमाम लाती है ।।

जो हवा घर से उसके आती है ।।



आज मौसम है खुश गवार बहुत ।

बे वफ़ा तेरी याद आती. है ।।



कितनी मशहूर हो गई है वो ।

कुछ जवानी शबाब लाती है ।।



टूटकर. मैं भी कशमकश में हूँ।

रात उलझन में बीत जाती है ।।



ओढ़ लेती बड़े अदब से वो ।

जब दुपट्टा हवा उड़ाती है ।।



यूँ तमन्ना तमाम क्या रक्खूँ ।

जिंदगी रोज तोड़ जाती है ।।



हम भी दीवानगी से हैं गुजरे ।

जिंदगी मोड़ ढूढ लाती है… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 25, 2017 at 12:00am — 9 Comments

देश के हर इंसान में शंकर देखा है

22 22 22 22 22 2

आंखों में आबाद समंदर देखा है ।

हाँ मैंने उल्फ़त का मंजर देखा है ।।



कुछ चाहत में जलते हैं सब रोज यहां ।

चाँद जला तो जलता अम्बर देखा है ।।



आज अना से हार गया कोई पोरस ।

तुझमें पलता एक सिकन्दर देखा है ।।



एक तबस्सुम बदल गई फरमान मेरा ।

मैंने तेरे साथ मुकद्दर देखा है ।।



कुछ दिन से रहता है वह उलझा उलझा ।

शायद उसने मन के अंदर देखा है ।।



बिन बरसे क्यूँ बादल सारे गुज़र गए ।

मैंने उसकी जमीं को बंजर…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 24, 2017 at 6:30pm — 5 Comments

ग़ज़ल -आग हम अंदर लिए हैं

2122 2122 2122 2122

वो किसी पाषाण युग के वास्ते अवसर लिए हैं ।

देखिये कुछ लोग अपने हाथ मे पत्थर लिए हैं ।।



है उन्हें दरकार लाशों की चुनावों में कहीं से ।

अम्न के क़ातिल नए अंदाज में ख़ंजर लिए हैं ।।



जो बड़े मासूम से दिखते ज़माने को यहां पर ।

हां वही नेता सुरक्षा में कई नौकर लिए हैं ।।



अब कहाँ इस दौर में जिंदा बची इंसानियत है ।

मुजरिमों को देखिये अब देह पर खद्दर लिए हैं।।



सुब्ह वो देते नसीहत भ्रष्टता से दूर रहिये ।

बेअदब होकर… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 23, 2017 at 12:00am — 4 Comments

ग़ज़ल - कोई आँचल उड़ान चाहता है

1222 1222 122

तपन को आजमाना चाहता है ।

समंदर सूख जाना चाहता है ।।



तमन्ना वस्ल की लेकर फिजा में।

कोई मुमकिन बहाना चाहता है ।।



जमीं की तिश्नगी को देखकर अब ।

यहाँ बादल ठिकाना चाहता है ।।



तसव्वुर में तेरे मैंने लिखी थी।

ग़ज़ल जो गुनगुनाना चाहता है ।।



मेरी चाहत मिटा दे शौक से तू ।

तुझे सारा ज़माना चाहता है ।।



मेरी फ़ुरक़त पे है बेचैन सा वो ।

मुझे जो भूल जाना चाहता है ।।



चुभा देता है जो ख़ंजर खुशी से… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 21, 2017 at 11:00pm — 8 Comments

बेसबब यूँ मुस्कुराना बस करो

2122 2122 212

हो गई पूरी तमन्ना बस करो ।

बेसबब यूँ मुस्कुराना बस करो ।।



फिक्र किसको है यहां इंसान की ।

फिर कोई ताज़ा बहाना , बस करो ।।



होश में मिलते कहाँ मुद्दत से तुम।

इस तरह से दिल लगाना, बस करो ।।



बेवफा की हो चुकी खातिर बहुत ।।

राह में पलकें बिछाना, बस करो ।।



घर मे कंगाली का आलम देखिये ।

गैर पर सब कुछ लुटाना ,बस करो ।।



रंजिशों से कौन जीता इश्क़ में।हार कर अब तिलमिलाना, बस करो ।।





कर गई दीवानगी… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 10, 2017 at 5:11pm — 2 Comments

आप से क्या मुहब्बत हुई

आप से क्या मुहब्बत हुई ।

रात भी अब कयामत हुई ।।



जब भी आए तेरे दर पे हम ।।

दुश्मनों की इजाफ़त हुई ।।



हुस्न था आपका कुछ अलग ।

आप ही की हुकूमत हुई ।।



यूँ संवरते गए आप भी ।

हुस्न की जब इनायत हुई ।।



अब चले आइये बज्म में ।

आपकी अब जरूरत हुई ।।



जाइये रूठ कर मत कहीं ।

आपसे कब अदावत हुई ।।



है तकाजा यहां उम्र का ।

आईनों की हिदायत हुई ।।



कुछ अदाएं मचलने लगीं ।

आंख से जब हिमाकत हुई… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 10, 2017 at 12:26pm — 13 Comments

बेबस पे नज़र से वार न कर

22112 22112 22112 22112





ये इश्क़ कहीं बदनाम न हो इतना तू मेरा दीदार न कर ।

ऐ जाने वफ़ा ऐ जाने ज़िगर बेबस पे नज़र से वार न कर ।।



इन शोख अदाओं से न अभी इतरा के चलो लहरा के चलो।

यह उम्र बड़ी कमसिन है सनम

ख़ंजर पे अभी तू धार न कर ।।





हैं दफ़्न यहाँ पर राज़ कई इस कब्र पे लिक्खी बात तो पढ़ ।

अब वक्त गया अब उम्र ढली अब और नया इजहार न कर ।।



चेहरे की लकीरों को जो पढ़ा तो राज हुआ मालूम मुझे । दिल मांग गया तुझसे है कोई यह बात अभी इनकार न कर… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 7, 2017 at 12:53pm — 11 Comments

ग़ज़ल: अंगारो से प्रीत निभाया करता हूँ

22 22 22 22 22 2

अंगारो से प्रीत निभाया करता हूँ ।

ख्वाब जलाकर रोज़ उजाला करता हूँ।।



एक झलक की ख्वाहिश लेकर मुद्दत से ।

मैं बादल में चांद निहारा करता हूँ ।।



एक लहर आती है सब बह जाता है ।

रेत पे जब जब महल बनाया करता हूँ ।।



शेर मेरे आबाद हुए एहसान तेरा ।

मैं ग़ज़लों में अक्स उतारा करता हूँ ।।





दर्द कहीं जाहिर न हो जाये मुझसे ।

हंस कर ग़म का राज छुपाया करता हूँ ।।



पूछ न मुझसे आज मुहब्बत की बातें ।

याद में…

Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 7, 2017 at 12:30pm — 13 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
10 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
20 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
34 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service