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दिनेश कुमार's Blog – April 2017 Archive (2)

ग़ज़ल -- भले मैं कभी मुस्कुराया नहीं ( दिनेश कुमार )

122--122--122--12



निगाहों से उसने पिलाया नहीं

मज़ा मुझको महफ़िल में आया नहीं



उदासी भी कब आई रुख़ पर मेरे

भले मैं कभी मुस्कुराया नहीं



बशर कौन है वो जिसे वक़्त ने

इशारों पे अपने नचाया नहीं



अभी दाद अपनी सँभाले रखो

अभी शे'र मैंने सुनाया नहीं



मैं झूठा हूँ चल ठीक है। ये बता

मुझे आइना क्यों दिखाया नहीं



दिलों के मिलन पर है सब मुनहसिर

कोई अपना कोई पराया नहीं



तू पत्थर है या एक हीरा 'दिनेश'

कोई… Continue

Added by दिनेश कुमार on April 19, 2017 at 6:17pm — 9 Comments

ग़ज़ल -- कभी जीत है कभी हार है ( दिनेश कुमार )

11212--11212



वो कलंदरों में शुमार है

ग़म-ए-ज़ीस्त से उसे प्यार है



तेरी हाँ नहीं पे ऐ जान-ए-जाँ

मेरी ज़िन्दगी का मदार है



मेरे बाग़-ए-दिल के नसीब में

फ़क़त इन्तज़ार-ए-बहार है



ग़म-ए-आशिक़ी से जो पूछिये

ये जहां भी उजड़ा दयार है



जिसे ताज कहता है ये जहां

वो हक़ीक़तन तो मज़ार है



ये अजब नहीं कि जुनूने-इश्क़

सर-ए-दार था सर-ए-दार है



मैं जो हक़-हलाल की रह पे हूँ

मुझे ख़्वाब में भी क़रार… Continue

Added by दिनेश कुमार on April 18, 2017 at 8:17pm — 7 Comments

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