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दिनेश कुमार's Blog – October 2016 Archive (2)

तरही ग़ज़ल -- " तेरे बारे में जब सोचा नहीं था " ( दिनेश कुमार )

1222--1222--122



मेरे चेहरे पे जब चेहरा नहीं था

मैं उस आईने से डरता नहीं था



ग़मों से जब नहीं वाबस्तगी थी

मैं इतनी ज़ोर से हँसता नहीं था



नज़ाक़त... ताज़गी... कुछ बेवफ़ाई

किसी के हुस्न में क्या क्या नहीं था



नशेमन की उदासी बढ़ रही थी

परिन्दा शाम तक लौटा नहीं था



हवा से लड़ रहा था एक दीपक

अँधेरा चार सू फैला नहीं था



फ़िज़ा की शक़्ल में शय कौन सी थी

चमन में गुल कोई महका नहीं था



सभी रिश्तों पे हावी… Continue

Added by दिनेश कुमार on October 16, 2016 at 12:53am — 3 Comments

ग़ज़ल -- ज़ख़्म हँसते हैं लब नहीं हँसते ( दिनेश कुमार 'दानिश' )

2122--1212--22



ज़ख़्म हँसते हैं लब नहीं हँसते

लोग यूँ बे-सबब नहीं हँसते



ख़ुद में ही खोये खोये रहते हैं

महफ़िलों में भी सब नहीं हँसते



दर्दो-ग़म ने हमें ये सिखलाया

कब नहीं रोते कब नहीं हँसते



इस हँसी के भी कुछ म'आनी हैं

मसखरे रोज़ो-शब नहीं हँसते



पुर-तकल्लुफ़ है मेरा लहजा अब

वो भी अब ज़ेरे-लब नहीं हँसते



कैसे कह दूँ बहार आई है

फूल बाग़ों में जब नहीं हँसते



हम हैं इल्मो-अदब के राहनुमा

हम कभी… Continue

Added by दिनेश कुमार on October 9, 2016 at 8:50am — 7 Comments

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