For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Ravi Shukla's Blog – August 2015 Archive (4)

ग़ज़ल : जहां था अंधेरा घना जिंदगी का

122 122 122 122

जहॉं था अंधेरा घना जि़दगी का

वहीं से मिला रास्‍ता रोशनी का

 

सलीबें न बदली न बदले मसीहा

वही हाल है आज तक हर सदी का

 

सितारे फलक से न आये उतर कर

हुआ कब ख़सारा किसी आशिकी का

 

न तुम रो सके औ हमारी अना को

सहारा मिला आरज़ी ही खुशी का

समन्‍दर सुख़न के तलाशे बहुत से

ख़जा़ना मिला है तभी शाइरी का

 

पिया है वही जाम जो दे ख़ुदाई

न अहसां उठाया न बदला…

Continue

Added by Ravi Shukla on August 19, 2015 at 3:00pm — 15 Comments

ग़ज़ल : जब तलक हो तुम सलामत

2122       2122    2122    212

जब तलक हो तुम सलामत जिंदगी मेरी रहे

जिस खुशी में तुम रहो खुश वो खुशी मेरी रहे

 

फेर ले रुख चॉंद अपना मै अभी मसरूफ हूँ

वस्‍ल की सारी लताफ़त दिलकशी मेरी रहे

 

खूबसूरत रात है ये खूबसूरत चॉंदनी

चॉंद बेशक हो तुम्‍हारा रोशनी मेरी रहे

 

आशिकी भी है कयामत आबशारे इख्तिलाफ़

राहते जां है वही जो नाखुशी मेरी रहे

 

मैं गलत हूँ या सही ये बात सारी दरगुज़र

चाहती है वो मुझे ये…

Continue

Added by Ravi Shukla on August 11, 2015 at 6:00pm — 8 Comments

ग़ज़ल : घर चलो अब वक्‍त है आराम का

रंग गहरा हो गया है शाम का ।

घर चलो अब वक्‍त है आराम का ।।

आज उनको याद मेरी आ गई ।

कल तलक मैं था नहीं कुछ काम का ।।

घर चलो दहलीज़ होगी मुन्तजि़र ।

फि़क्र में गुज़रे न वक्फा़ शाम का ।।

खो न जाना इन नज़ारों में कहीं ।              

ये फुसूं है चर्खे  नीली फ़ाम का ।।

जब पड़ा था काम उनको याद था ।

अब पडा़ हूं जब नहीं  कुछ काम का ।।

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Added by Ravi Shukla on August 10, 2015 at 6:00pm — 9 Comments

ग़ज़ल

122 122 122 122

कभी कोई मु‍फलिस कहां बोलता है ।

जो बोले तो फिर आसमां बोलता है ।।

ज़माना नहीं, पासबां बोलता है ।

हुआ कौन उसका, मकां बोलता है ।।

अभी लोग  उठकर रवाना हुए हैं ।

ये चूल्‍हों से उठता धुआं बोलता है ।।

 

अगर आंच गैरत पे आये तो बोले ।

वगरना कहां बेजुबां बोलता है ।।

 

दिलासा नहीं काम दे दो मुझे तुम ।

यही बात बोले जहां बोलता है ।।

जमीं उसकी दहकान से…

Continue

Added by Ravi Shukla on August 5, 2015 at 1:30pm — 14 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
5 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service