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संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी''s Blog – March 2012 Archive (5)

इश्क़

इश्क़ की बात चली

रात आँखों में जली

————

मौजूदगी तेरी हर लम्हा मौजूद रहे

तू साथ हो न हो, साथ बावजूद रहे

ख़यालों में गुज़रा ये दिन सारा

शाम यादों में ढली

इश्क़ की बात चली..

————…

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Added by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 18, 2012 at 5:57pm — 22 Comments

ग़ज़ल

हाँ मेरे पास कोई सहारा नहीं,

मगर मैं बेबस बेचारा नहीं;

*

सोचता हूँ कुछ मैं भी कहूँ अब

मगर ज़ुबान को ये गवारा नहीं;

*

वो जिसे हम अपना समझते रहे,

आज जाना के वो हमारा नहीं;

*

थोड़ी सी ज़मीन मुट्ठी भर आसमान,

आज…

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Added by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 14, 2012 at 12:36pm — 18 Comments

"पहाड़ी नदी"

मैं पहाड़ी नदी हूँ…

उसी स्वामी के अस्तित्व से उद्भूत होती

उसी का सीना चीरती, काटती

अपने गंतव्य का पथ बनाती

विच्छिन्न करती प्रस्तरों-शिलाओं को

विखंडनों को भी चाक करती…

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Added by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 11, 2012 at 2:32pm — 17 Comments

"तेरे मेरे बीच हैं"

यही है ख़ुदाई उसकी, छोटी सी ये इल्तजा,

जो कभी की थी उससे, पूरी वो न कर सका;


तेरे मेरे बीच हैं अब, मीलों के फ़ासले

कभी सामने थे तुम, आज हो गए परे


तेरे मेरे बीच…

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Added by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 2, 2012 at 2:00pm — 21 Comments

"दुआ"

है अर्ज़ जो तेरी मैं दूँगी उसे सुना,

हौले से मेरे कान में कहती है ये सबा;

*

अल्फ़ाज़ बहुत आसमाने दिल पर उमड़ रहे हैं,

कोई नहीं बरसता मगर बनकर मेरी दुआ;…

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Added by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 1, 2012 at 11:30am — 26 Comments

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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