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बृजेश कुमार 'ब्रज''s Blog – November 2021 Archive (2)

ग़ज़ल-तुम्हारे प्यार के क़ाबिल

1222 1222 1222 1222

जरा सा मसअला है ये नहीं  तकरार के  क़ाबिल

किनारा हो नहीं सकता कभी मझधार के क़ाबिल

न ये संसार  है मेरे  किसी भी  काम का  हमदम

नहीं हूँ मैं किसी  भी तौर से  संसार के  क़ाबिल

न मेरी  पीर है  ऐसी  जिसे  दिल  में रखे  कोई

न मेरी  भावनायें हैं  किसी  आभार के  क़ाबिल

ये मुमकिन है ज़माने में हंसी तुझसे ज़ियादा हों

सिवा तेरे  नहीं कोई  मेरे  अश'आर के  क़ाबिल

मेरे आँसू तुम्हारी आँखों से बहते तो अच्छा…

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Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 25, 2021 at 12:00pm — 14 Comments

ग़ज़ल-हमारे आँसू

2122      1122      1122       22
खोजने  जाऊँ कहाँ  जान से प्यारे  आँसू

ढल गये  आँख  से  चुपचाप हमारे  आँसू


इस तरह  देख सकूँगा न बिखरते  इनको

कितना टूटे हैं तो आँखों  में  सँवारे  आँसू



शब अँधेरी  है हवा  सर्द  तसव्वुर  उनका

याद  मीठी  है  बड़ी  और  हैं खारे  आँसू



मुझको भाती नहीं ये बोलती पुरनम आँखें

काश  आँखों से  चुरा लूँ  मैं  तुम्हारे  आँसू…

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Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 7, 2021 at 4:00pm — 8 Comments

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