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Savitri Rathore's Blog – March 2013 Archive (6)

प्रेम का रूप

क्या प्रेम मात्र एक भ्रम है,
जिसका न कोई नियम है।
या है प्राणों की विकलता,
जिस पर न सधा संयम है।
जीवन का जो प्रकाश बना,
फिर वही अँधेरा बनता है।
न्यौछावर करके तन-मन सब 
विवशता का छत्र तनता है।
देता है न दिखाई कुछ भी,
जब सम्मुख प्रेम उपस्थित हो।
मन क्यों चंचल हो जाता है,
क्यों आत्मा में न केन्द्रित…
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Added by Savitri Rathore on March 31, 2013 at 5:03pm — 4 Comments

ज़िन्दगी

क्या है तू ऐं ज़िन्दगी ?

मैं तुझे पहचान न सकी।

तेरे तो हैं रूप अनेक ,

कभी तुझे जान  न सकी।

क्या है तू ऐं ज़िन्दगी ?

देखा है मैंने तुझे कभी ,

 फूलों की तरह खिलते हुए।

और कभी देखा है मैंने तुझे,

शोलों की तरह जलते हुए।

तेरी कोई पहचान न रही,

कभी तुझे जान न सकी।

क्या है तू ऐं ज़िन्दगी ?

कहीं है तू पुष्प-सी-कोमल

तो कहीं काँटों-सी-कठोर।

कहीं पर है प्यार तेरा,

तो कहीं है अन्याय घोर।

तेरी कभी कोई शान न रही,

कभी तुझे जान न सकी।

क्या…

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Added by Savitri Rathore on March 26, 2013 at 3:24pm — 13 Comments

आँसू

आँखों से मेरी छलक पड़ते हैं आँसू।

दिल में ज़ख्म बनकर  हँसते हैं आँसू।।

ग़म से जब दिल बेज़ार होता है,

ऐसे हाल में मुस्कुराना भी बेकार होता है,

तभी मोती बनकर चमकते हैं आँसू।

आँखों से मेरी छलक पड़ते हैं आँसू।।

बुरे वक़्त का दर्द सीने में छुपाया नहीं जाता,

क्या करें,जब किसी को ये बताया नहीं जाता,

यही दर्द के मोती बनकर चमकते हैं आँसू।

आँखों से मेरी छलक पड़ते हैं आँसू।।

इस दर्द को सीने में संभालना होता है मुश्किल,

इस बाढ़ को बढ़ने से रोकना होता है…

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Added by Savitri Rathore on March 20, 2013 at 8:57pm — 13 Comments

प्रिय की प्रतीक्षा

अकेले क्यों आये हो तुम ऋतुराज,

क्यों नहीं साथ लाये मेरे प्रिय को आज?

उनकी प्रतीक्षा में थक गए नैन,

अधरों से मेरे फूटते नहीं है बैन।

 कटती नहीं मुझसे विरह की रैन,

आता नहीं मेरे मन को कहीं चैन।

उनके बिना होता नहीं कोई काम -काज।

अकेले क्यों आये हो तुम ऋतुराज,

क्यों नहीं साथ लाये मेरे प्रिय को आज?

बिना उनके फीका सौन्दर्य तुम्हारा,

कोयल के गीतों ने भी उन्हें पुकारा।

बिना प्रिय के अधूरा श्रृंगार हमारा,

काम -बाणों ने बेध दिया तन-मन सारा।

तुमसे ये…

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Added by Savitri Rathore on March 14, 2013 at 8:05pm — 5 Comments

नारी शक्ति है

            सृष्टि की महत्त्वपूर्ण रचना है नारी । यदि नारी नहीं होती तो आज हम इस सम्पूर्ण सृष्टि की कल्पना करने में भी असमर्थ होते । इस सृष्टि के विकास में नारी का महत्त्वपूर्ण योगदान है । वह मानव जीवन की संचालिका और मूलाधार है । मानव-जीवन उसके अनेक रूपों और उत्तरदायित्वों से भरा पड़ा है । वह माँ है, बहिन है, पत्नी है, प्रेयसी है, पुत्री है और कहीं-कहीं प्रेरणास्त्रोत भी है । यदि नारी अपने प्रेम और सौन्दर्य से मानव-जीवन को…

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Added by Savitri Rathore on March 8, 2013 at 5:30pm — 8 Comments

यूँ ही किसी से दिल लगा लिया नहीं जाता

 अब बिन तेरे मुझसे रहा नहीं जाता।

तुझसे दूरी का दर्द सहा नहीं जाता।।

ख़ुद से ज़्यादा चाहते हैं तुम्हें,पर ये

अब तुमसे क्यों कहा नहीं जाता ?

प्यार तो अपने -आप ही होता है,

कभी ये किसी से किया नहीं जाता।

आँखों में ऐसे बसी है तस्वीर तेरी,

आँसुओं से इसे मिटा दिया नहीं जाता।

हर धड़कन अब तेरा ही नाम लेती है,

मुझसे अब राम -नाम जपा नहीं जाता।

बेशक़,जी रहे हैं तुझसे दूर होकर हम 

पर अब बिन तेरे जिया नहीं जाता।

कोई तो बात होगी तुममें और…

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Added by Savitri Rathore on March 6, 2013 at 11:30pm — 8 Comments

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