For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Kanta roy's Blog – August 2016 Archive (5)

उलझे हुए लोग/ लघुकथा

आज भी चबूतरे पर बैठने कोई नहीं आया। चबूतरा उदास था। साल में सिर्फ दो बार ही यहाँ सांस्कृतिक आयोजन हुआ करता था बाकि दिनों में सुबह-शाम मोहल्ले के बुजूर्गों का जमावड़ा और उनके ठहाकों का शोर रहता था। हालांकि उनके ठहाकों का मुख्य श्रोत युवाओं के प्रति कटाक्ष ही हुआ करता था।

कौन युवा ? अरे , वही जिन्होंने एकता और सौहार्द्रता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से दूर्गा पूजा समीति बना कर इस चबूतरे का निर्माण करवाया था।

जिनके कारण कॉलोनी को गंगा- जमुनी तहजीब के कारण शहर में सम्मान मिला करता… Continue

Added by kanta roy on August 29, 2016 at 10:48pm — 7 Comments

लालसा की चोरी /लघुकथा

मैदान के किनारे सड़क के पार टपरी के बाहर वह माथे पर शिकन लिये बेचैन -सा बैठा है।अंदर बच्चा पिछले कई घंटों से रोये जा रहा था। पिछले कई दिनों से उसे बुखार है। सरकारी दवाई बेअसर थी। सामने पूरे मैदान में शामियाना लगा हुआ है। बैंड-बाजे की आवाज शोर बनकर कान को फाड़ने पर तुली हुई थी।

उसके घर में आज समस्त फसाद की जड़ ये बैंड-बाजा ही थी। पकवानों की सुगंध अमीर -गरीब का घर कहाँ देखती , बिना पूछे सीधे अंदर घुस आई।

पकवानों की सुगंध से मचलता खाने को तरसता बीमार बच्चा ,अब उसे कैसे…

Continue

Added by kanta roy on August 16, 2016 at 10:57am — 6 Comments

बराबरी का पैमाना /लघुकथा

"स्त्री स्वातंत्र्य दरअसल पितृसत्ता के विरूद्ध संघर्ष और विरोध है। भावनात्मक ,सामाजिक ,शारीरिक और आर्थिक स्तरों पर पितृसत्ता की जकड़न,उनके पाखंडों का उद्घाटन ही हमारा लक्ष्य है" कहते-कहते वह उत्तेजित हो उठी। सहसा उसे भान हुआ, वो अपने ऑफिस केन्टीन में नहीं, रेस्तरां में है।विलास को उसकी ये बातें अच्छी लगती थी लेकिन आजू-बाजू देख वह संकोच से भर उठी। इस विषय पर वह स्वयं को क्यूँ रोक नहीं पाती है?

तभी बेयरा ऑर्डर लेने आ गया।

"तुम बीयर या जिन तो ले सकती हो, मेरा साथ देने के लिये "

"… Continue

Added by kanta roy on August 9, 2016 at 11:36am — 10 Comments

वह प्रीत की फसल उगाती है/ कविता

मेरा निश्छल मन

किसी से बैर

या शत्रुता नहीं

पालता है।



वह पालता है

प्रीत की सघनता को

वो बहता रहता है

भाव की अविचलता में

उसे फुरसत नहीं

प्रेम में बहते रहने से

उसकी दृष्टि हटती नहीं

अपने प्रियतम से।



हृदय की गहन तलहटी में

उनकी गुंजों में डूबी हुई

भोर की दूर्बा-सी

ओस को आँखों में सजाये

गुँथा करती है

प्रतिदिन जयमाल

मन के फूलों से।



कोकिल-सी कूक लिये

अंधकार को बेधा करती… Continue

Added by kanta roy on August 3, 2016 at 2:35pm — 12 Comments

एक तुम्हारे होने से / कविता

साक्षी है सिंधू मन मेरा एक तुम्हारे होने से

हृदय की भित्तियों में चित्तियाँ तुम्हारे होने से



ऊँची काली दीवारें थाह पता कोई ना जाने

जीने -मरने में भेद मिटा संत्रासों के ढोने से

हृदय की भित्तियों में चित्तियाँ तुम्हारे होने से .......



उलट-पुलट है यह जग सारा पुरवाई भी व्याकुल है

लहरों की उछ्वासित साँसों को क्या मलाल अब खोने से

हृदय की भित्तियों में चित्तियाँ तुम्हारे होने से ........



लय की अनंतता में अंतर्मन का रमकर रमना

नित्य-निरंतर… Continue

Added by kanta roy on August 2, 2016 at 10:26am — 20 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service