For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुमार गौरव अजीतेन्दु's Blog – August 2012 Archive (16)

दुनिया - मनहरण घनाक्षरी

भाई-भाई बैरी बना, रोटियों में खून सना,
छा गया अँधेरा घना, देख आँख रो पड़ी |

भूल गए सब नाते, दूर से ही फरियाते,
काम देख बतियाते, कैसी आ गई घड़ी |

जहाँ कोई मिल जाए, नोंच-नोंच कर खाए,
देख गिद्ध शरमाए, बात नहीं ये बड़ी |

होश नहीं इश्क जगे, चाहे भले जाए ठगे,
गैर लगे सारे सगे, सोच कैसी है सड़ी ||

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 28, 2012 at 6:00pm — 4 Comments

नारी : कुण्डलिया

(१) नारी घर का मान है, नारी पूज्य महान |

नारी का अपमान तू, मत करना इंसान ||

मत करना इंसान, नहीं ये शाप कटेगा,

खुश होगा शैतान, सदा ही नाम रटेगा |

धर माता का रूप, लुटाती ममता भारी,

बढ़े पाप तो खड्ग, उठा लेती है नारी ||

(२) नारी जो बेटी बने, देवे कितना स्नेह |

बने बहिन तो बाँट ले, कष्टों की भी देह ||

कष्टों की भी देह, बाँध हाथों पे राखी,

नहीं कहा कुछ गलत, देश-दुनिया है साखी |

करे कोख पर वार, गई मत उसकी मारी,

फूट…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 27, 2012 at 2:10pm — 6 Comments

हाइकु बक्सा : विविध

(१) झुकी नजरें

खामोशी इजहार

पहला प्यार

(२) सब अपना

हरेक का सपना

कलियुग है

(३) भारी टोकरा

रोकड़ा ही रोकड़ा

उपरी आय

(४) संतों का बैरी

लुटेरों का चहेता

हमारा नेता

(५) अँगूठा छाप

पढ़े-लिखों का बाप

जनतंत्र है

(६) संकीर्ण सोच

इंसानी खुराफात

ये जात-पात

(७) तिल का ताड़

मजहब की आड़

आतंकवाद

(८) बेमेल दल

लाचार सरकार

गठबंधन

(९) सब ने ठगा…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 25, 2012 at 10:48am — 4 Comments

भूख : दोहे

(१) रंक जले राजा जले, कौन सका है भाग |

सबके अंदर खौलती, एक क्षुधा की आग ||

(२) ज्वाल क्षुधा में वो भरी, कहीं न ऐसा ताप |

जल के जिसमें आदमी, कर जाता है पाप ||

(३) भूख बड़ी बलवान है, ना लेने दे चैन |

दौड़ें सब इसके लिए, दिन हो चाहे रैन…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 22, 2012 at 8:51pm — 12 Comments

व्यथा जमाई की (हास्य) : मनहरण घनाक्षरी

ससुर जी ये कब का, तूने बैर है निकाला,

काहे अपनी बेटी को, सर पे मेरे डाला |

लड़की है वो या फिर, बकबक की टोकरी,

साल भर हुआ नहीं, सरका है दिवाला |

पाक कला ज्ञात नहीं, देर जगे बात…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 21, 2012 at 7:11pm — 24 Comments

सड़क बुलाती है

सड़क बुलाती है,

आओ...मेरा अनुसरण करो,
छोड़ो न कभी मुझे,
भटक जाओगे रास्ता,
मुश्किल हो जाएगा
मंजिल…
Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 19, 2012 at 7:30pm — No Comments

हे वनराज ! तुम निंदनीय हो !

हे वनराज ! तुम निंदनीय हो !

अक्षम हो प्रजारक्षा में,

असमर्थ हो हमारी प्राचीन

गौरवपूर्ण विरासत सँभालने में ;

आक्रांता लाँघ रहे हैं सीमायें,

नित्य कर रहे हैं अतिक्रमण

हमारी भावनाओं का,…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 17, 2012 at 1:16pm — 6 Comments

दामिनी (मनहरण घनाक्षरी)

नैनों तेरी छवि बसी, मन तेरे गुण गाए,

फिर काहे तू दामिनी, रूठ मुझे सताए |

पल भर तेरी दूरी, दे मुझको तड़पाए,

ठंढी-ठंढी आहें भरूँ, कहीं जिया न जाए |

बिन तेरे ऐसे लगे, फूल भी शूल…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 15, 2012 at 10:44pm — 2 Comments

देशगीत (स्वतंत्रता दिवस पर विशेष)

जो कह गए शहीद, चलो उसको दुहराएँ |

आजादी का पर्व, आओ मिलकर मनाएँ ||

है दिन जिसको वीर, जीत कर के लाए थे,

चट्टानों को चीर, मौत से टकराए थे |

कर लें उनको याद, जिन्होंने शीश कटाए,

आजादी का पर्व, आओ मिलकर मनाएँ ||…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 11, 2012 at 8:21am — 8 Comments

श्रीकृष्ण आराधना

जय श्रीकृष्ण देवकीनंदन | हूँ कर जोड़े, करता वंदन ||

दुख-विपदा से आप निवारो | मेरे बिगड़े काज सँवारो||

भगवन जग है तेरी माया | कण-कण तेरा रूप समाया ||

जगत नियंता, हे करुणाकर | तेरी ज्योति चंदा-दिवाकर ||

देवराज आरती उतारें | नारद जय-जयकार उचारें ||…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 10, 2012 at 6:45pm — 12 Comments

कुण्डलिया : धोती मुनिया फर्श को.....

धोती मुनिया फर्श को, मुन्ना माँजे प्लेट |

कल का भारत देख लो, ऐसे भरता पेट ||

ऐसे भरता पेट, और ये नेता सारे,

चलते सीना तान, लगा के जमकर नारे |

नहीं तनिक है शर्म, कहाँ है जनता सोती,…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 7, 2012 at 6:00pm — 18 Comments

दोहे : आत्मावलोकन

१. नहीं किसी से हूँ चिढ़ा, आता खुद पे रोष |

मुझमें ही सारी कमी, मुझमें सारा दोष ||

२. मैं ही पूरा आलसी, सोता हूँ दिन-रात |

नहीं ठहरती जीत तो, कौन अनोखी बात ||

३. मुझमें ही है वासना, मुझमें है आवेश |

मक्कारी की खान मैं, धर साधू का वेश ||

४. मन को कलुषित कर लिया, लाता नहीं सुधार |

हरा दिया हठ ने मुझे, कर डाला लाचार ||

५. करने थे सत्कर्म पर, किये बहुत से पाप |

इतना नीचे हूँ गिरा, सोच न सकते आप ||

६. जीत गई हैं इन्द्रियाँ, मिली मुझे है हार…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 6, 2012 at 11:08pm — 10 Comments

दुःख

तृष्णा की कोख से जन्मा

वासनाओं के साये में पला

एक मनोभाव है दुःख ;

सांसारिक माया से भ्रमित

षटरिपुओं से पराजित

अंतस की करुण पुकार है दुःख ;

स्वार्थ का प्रियतम

घृणा का सहचर

भोगलिप्सा की परछाई है दुःख ;

वैमनस्य का मूल्य

भेदभाव का परिणाम

आलस्य का पारितोषिक है दुःख ;

अधर्म से सिंचित

अमानवीय कृत्यों की

एक निशानी है दुःख ;

कलुषित मन की

कुटिल चालों का

सम्मानित अतिथि है दुःख ;

निरर्थक संशय से उपजी

मानसिक स्थिति का

एक नाम…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 5, 2012 at 8:23pm — 22 Comments

किसान

किसान,

प्रतीक अथक श्रम के

अतुल्य लगन के ;

प्रमुख स्तंभ

भारतीय अर्थव्यवस्था के,

मिट्टी से सोना उगानेवाले

आज उपेक्षित हैं

परित्यक्त हैं…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 4, 2012 at 10:45am — 12 Comments

हे मनुज! तुम दिया बनो

हे मनुज! तुम दिया बनो
वो दिया...जो जलता है
प्रकाश के लिए, 
नवनिर्माण के लिए,
भटके को राह दिखाने के लिए,
प्रभु की आराधना के लिए,
हे आर्य! आत्मसात कर लो
इसके गुणों को,
अपना लो इसका स्वभाव,
प्रतीक बनो क्रांति के आगमन का,
सूचक हो परिवर्तन का,
मिटा…
Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 3, 2012 at 10:00pm — 12 Comments

दोहे : छोड़ धुँए का पान

१. फूँक रहा क्यों जिन्दगी, ऐ मूरख इंसान |

मर जाएगा सोच ले, छोड़ धुँए का पान ||



२. बीड़ी को दुश्मन समझ, दानव है सिगरेट |

इंसानों की जान से, भरते ये सब पेट ||



३. शुरू-शुरू में दें मजा, कर दें फिर मजबूर |

चले काम या ना चले, ये चाहिए जरूर…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on August 1, 2012 at 8:00am — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब, हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिय:। तरही मुशाइरा…"
39 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
6 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
13 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
13 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
15 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service