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कवि - राज बुन्दॆली's Blog – December 2012 Archive (9)

वाह रॆ ! कानून बनानॆ वालॊ

वाह रॆ !

कानून

कानून बनानॆ वालॊ

और

कानून के रखवालॊ

अपनी आपनी पगड़ी सँभालॊ,

राज्य सभा मॆं

पचास प्रतिशत का आरक्षण

और

चौराहॆ पर आबरू का भक्षण,

कहनॆ कॊ अधिकार दियॆ हैं सम,

मॆरॆ जन्म पर छा जाता है मातम,

और ज्यॊं- ज्यॊं मॆरी उम्र बढ़नॆ लगती है

परिवार पर नई आफ़त चढ़नॆ लगती है,

घर की चौखट दायरा समेटनॆ लगती है,

जब बॆटी अपना दुपट्टा लपॆटनॆ लगती है,

मॆरी किस्मत चूल्हा चौंका बर्तन रॊटी,

ऊपर सॆ घर भर की सब…

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Added by कवि - राज बुन्दॆली on December 24, 2012 at 5:30pm — 16 Comments

उसका पैग़ाम बॊलॆगा

उसका पैग़ाम बॊलॆगा,,,,,,,

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न जानॆं अदालत मॆं कल, किसका नाम बॊलॆगा ॥

यकीनन जब भी बॊलॆगा, वह बॆ-लगाम बॊलॆगा ॥१॥



मौत कॆ खौफ़ सॆ ज़रा भी, डरता नहीं है कभी,

मौन तॊड़ॆगा जिस दिन,फ़िर खुलॆ-आम बॊलॆगा ॥२॥



ठॊकरॆं मारनॆ वालॊ वॊ,हरॆक की ख़बर रखता है,

वॊ कुछ नहीं बॊलॆगा कल, उसका काम बॊलॆगा ॥३॥



लफ़्ज़ॊं मॆं उसकॆ समाया है,समन्दर तॆज़ाब का,

कल हर एक कॆ लबॊं सॆ, उसका पैग़ाम बॊलॆगा ॥४॥



आँधियॊं का अँदॆशा है,सभी चिरागॊं कॊ जला…

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Added by कवि - राज बुन्दॆली on December 19, 2012 at 3:00am — 4 Comments

यकीन करॊ

यकीन करॊ,,,,,,,,

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यहाँ भी सब गॊल-माल है,यकीन करॊ !!

सब अपनी-अपनी चाल है,यकीन करॊ !!१!!



उनकॆ स्विस बैंकॊं मॆं, सड़ रहॆ हैं नॊट,

हमारी किस्मत कंगाल है, यकीन करॊ !!२!!



गाँधी कॆ पुजारी ही, जातॆ हैं संसद मॆं,

संसद नहीं वॊ टकसाल है, यकीन करॊ !!३!!



यॆ बजातॆ हैं बैठ कॆ,चैन की बंशी वहां,

यहाँ जनता का बुरा हाल है,यकीन करॊ !!४!!



तरक्की दॆश की, सुहाती नहीं है इनकॊ,

आँख मॆं सुअर का बाल है,यकीन करॊ !!५!!…



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Added by कवि - राज बुन्दॆली on December 18, 2012 at 2:00pm — 2 Comments

ट्राई करॊ

ट्राई करॊ,,,,,,,,,,,,

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शायद मिल ही जायॆ, लाइन ट्राई करॊ ॥

कभी कर दॆगी दिलपॆ, साइन ट्राई करॊ ॥१॥

मॊबाइल नंबर शायद, पहचानती हॊ वॊ,

पी.सी.ऒ. सॆ डालकॆ, क्वाइन ट्राई करॊ ॥२॥

हॆलॊ हाय बॊलॆ ग़र, बनॆगी बात वरना,

बर्थ-डॆ पार्टी मॆं हॊकॆ, ज्वाइन ट्राई करॊ ॥३॥

मॆहनत का फल भी, मिलॆगा यकीनन,

फ़्रॆन्डसिप,रॊज़ डॆ, वॆलॆन्टाइन ट्राई करॊ ॥४॥

ग़र प्यार मॆं हॊ गई, बद-हज़मी तुम्हॆं,

काला नमक और, अजवाइन ट्राई करॊ ॥५॥

प्यार कॆ चक्कर…

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Added by कवि - राज बुन्दॆली on December 18, 2012 at 3:30am — 4 Comments

ख़ुदा जानॆं

,,,,,,,,,ख़ुदा जानॆं ,,,,,,,,

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क्या था कल क्या आज है, ख़ुदा जाने !!

छुपा दिल मॆं  क्या राज़ है, ख़ुदा जाने…

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Added by कवि - राज बुन्दॆली on December 6, 2012 at 6:00pm — 3 Comments

मंदार माला सवैया

मंदार माला सवैया :-

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राजा वही जॊ प्रजा कॊ दुखी दीन, संताप हॊनॆ न दॆता कभी !!

बाजी लगा दॆ सदा जान की आन,ईमान खॊनॆ न दॆता कभी !!

आनॆ लगॆं आँधियाँ राज मॆं आँख,आँसू भिगॊनॆ न दॆता कभी…

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Added by कवि - राज बुन्दॆली on December 5, 2012 at 12:00pm — 12 Comments

मत्तगयंद सवैया

मत्तगयंद सवैया :-

===============

आज हुयॆ मतदान सभी चुनि, बैठ गयॆ चढ़ि आसन चॊटी,

भारत कॆ यह राज-मणी सब, फ़ॆंक रहॆ अब  खॊटम खॊटी,

नागिन सी  फ़ुँफ़कार भरॆं सब, छीनत हैं जनता कइ रॊटी,…

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Added by कवि - राज बुन्दॆली on December 5, 2012 at 10:00am — 10 Comments

महाभुजंगप्रयात सवैया

महाभुजंगप्रयात सवैया :-

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नहीं रास आईं वफ़ायॆं किसीकॊ, अनॆकॊं चलॆ हैं उसी राह राही !!

किनारॆ खड़ॆ दॆखतॆ हैं तमाशा,हमारी वफ़ा का सिला यॆ तबाही !!

पुकारा कई बार था नाम लॆकॆ,खुदाकी…

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Added by कवि - राज बुन्दॆली on December 4, 2012 at 2:00pm — 4 Comments

तीन दुर्मिल सवैया छंद

तीन दुर्मिल सवैया छंद :-

===================

(1)

चित चॊर  चकॊर मरॊर दई, झकझॊर दई  पँसुरी पँसुरी,

कस माखनचॊर गही बहियां, चटकाइ दई अँगुरी अँगुरी,…

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Added by कवि - राज बुन्दॆली on December 2, 2012 at 1:30pm — 14 Comments

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"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
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"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
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"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
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