मुँह लटकाए बैठा है क्यूँ
हौंसला अपना बुलंद कर
गोर्वित वंश का वंशज है तू
निडर होकर आगे बढ़ ||
कदम चूमेगी मंजिल एक दिन
अनिश्चितता ना हृदय धर
कट जायेगी दुख की घड़ियाँ
इसकी ना तू चिंता कर ||
हर पल हर क्षण वक़्त बदलता
इसके संग तू खुद को बदल
कर्तव्य धर्म की पुजा कर
कर्मठता संग तू आगे बढ़ ||
स्वर्ण इतिहास है तेरे वंश का
उसकों तू ना कलंकित कर
समस्याओ से यदि टूट जाएगा…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on August 1, 2020 at 1:30pm — 2 Comments
भारतवर्ष क्रांतिकारी महापुरुषों और वीरांगनाओं से भरा पड़ा है जिनके बारे में जितना पढ़ा जाये कम ही नजर आता है| कभी-कभी तो ऐसा लगता है पता नहीं किस मिट्टी के बने होते होंगे वे लोग जो देश के लिए अपना सब कुछ बलिदान करने ले लिए हर वक़्त तैयार रहते थे| इस संघर्ष में उच्च, पिछड़े समाज और दलित समुदायों से आने वाली औरतों के साथ-साथ बहुत सी भटियारिनें या सराय वालियां, तवायफे भी थीं| जिनके सरायों में विद्रोही योजनाएं बनाते थे जाने कितनी तो कलावंत और…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on July 22, 2020 at 5:00pm — 2 Comments
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अनेक वीर नारियों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया था| इस प्रथम स्वाधीनता संग्राम में देश के सभी वर्गों ने अपनी-अपनी हैसियत के अनुसार उसमे योगदान देने में अपना पूरा सहयोग दिया| इस संग्राम में भाग लेने वाली नारियों ने अपने धर्म जाति की परवाह किए बिना अपने त्याग और बलिदान की एक अनोखी मिशाल पेश की और आने वाली पीढ़ियो के लिए मार्गदर्शक बनी| प्रथम भारतीय विद्रोह की सबसे अधिक ध्यान देने वाली बात यह है कि इसमें केवल शाही राजघरानो या कुलीन पृष्ठभूमि वाली नारियों ने ही भाग नहीं लिया था…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on July 19, 2020 at 3:30am — No Comments
बेगम हज़रत महल भारतवर्ष की आज़ादी में कई सारे क्रांतिकारी वीर-वीरांगनाओं ने अपना पूरा योगदान दिया | यहाँ तक कि भारत माँ के सम्मान, स्वाभिमान और इसकी आजादी को बचाने के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया| बेगम हज़रत महल का व्यक्तित्व उस समय भारतीय समाज की सामंत मान्यताओ में बंधी नारी शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है | ऐसे में रानी लक्ष्मीबाई का चरित्र हमारे समाज की सशक्त महिला व देवी तुल्य भाव को प्रदर्शित करता है| सोचने की बात यह है कि अलग-अलग परिस्थितियों से आई दोनों नारियाँ कैसे समाज में एक आदरणीय…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on July 14, 2020 at 4:02pm — 3 Comments
भारतवर्ष के इतिहास में पृथ्वीराज चौहान को अपने समय का सबसे बड़ा योद्धा माना जाता है| जिसकी वीरता के किस्से उस समय पूरे भारत में गूंज रहे थे| पृथ्वीराज चौहान अजमेर राज्य का स्वामी बना तो उसके चाचा पृथ्वीराज को चौहान राज्य का वास्तविक अधिकारी नहीं मानते थे। इसी कारण पृथ्वीराज के चाचा अपरगांग्य ने पृथ्वीराज के विरुद्ध विद्रोह कर दिया तो पृथ्वीराज ने अपने चाचा को परास्त कर उसकी हत्या कर दी। इस पर पृथ्वीराज के दूसरे चाचा व अपरगांग्य के छोटे भाई नागार्जुन ने…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on July 13, 2020 at 12:09pm — 4 Comments
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में रानी लक्ष्मी बाई की के साथ झलकारी बाई का नाम भी बड़ी सम्मान के लिए जाता है | एक वही थी जिन्होने रानी का हर कदम पर साथ दिया और उनकी कदकाठी कुछ मेल खाती थी |इनके बलबूते ही रानी लक्ष्मी बाई संग्राम में अंग्रेज़ो की आखों में धूल झोंकने में सफल रही | लेकिन इसे विडम्बना ही कहेंगे की सक्षम होने के बावजूद भी इतिहासकारों ने उसे वो सम्मान नहीं दिया जिसकी वह हकदार थी | जाति व्यवस्था में दबे होने के कारण हमारे देश के बहुत से वीर-वीरांगनाए इसी सोच में दबकर गुमनाम हो गए जीने…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on June 25, 2020 at 4:30pm — 2 Comments
देश पर मुझको है अभिमान
जय गणतंत्र जय संविधान
धर्म निरपेक्ष है देश हमारा
सुंदर प्यारा देश महान ||
हर संस्कृति को करता स्वीकार
अमन चैन में है विश्वास
धर्म-जाति का भेद नहीं
अधिकार दिलाता सबको समान ||
शत्रु को भी मित्र समझता
सबका करता है कल्याण
शरणार्थियों को शरण दिलाता
सबसे बड़ा हिन्द संविधान ||
नर-नारी सब एक समान
हर क्षेत्र में उनका योगदान
सारी दुनियाँ में…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on June 22, 2020 at 2:00pm — 1 Comment
भारत वर्ष की भूमि महापुरुषों की ही नहीं बल्कि देवी रूप में देश के लिए बलिदान, त्याग और अपनी जान को न्यौछावर करने वाली नारियों से भी भरी पड़ी है| जिन्होने अपनी हर हद से उठ कर अपने देश की रक्षा के लिए मान मर्यादा को ध्यान में रखते हुए सब कुछ कर गुजरने के साहस की मिशाल पेश की | कुछ इतिहासकारों के अनुसार रानी अवंतीबाई लोधी भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली महिला के रूप में जाना है। जिसे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में रामगढ़ के रेवांचल प्रदेश में हुए मुक्ति आंदोलन की मुख्य सूत्रधार और…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on June 21, 2020 at 3:30pm — 2 Comments
देख लोगो को रोते हुए
ज़ोर से लाश एक हँस पड़ी
जीते जी तो जीने दिया ना
गुस्से में वो बिफर पड़ी ||
खरी-खोटी मुझे रोज सुनाते
तनिक भी ना परवाह थी
दिल पे मेरी क्या गुजरती
घुट-घुट के मैं रोती थी ||
खुदा बक्शे अगर, जिंदगी
औकात दिखा दे अभी सभी
घड़ियाल से आँसू जो बहाते
असलियत आ जाए सामने अभी ||
भूल जायेंगें कुछ ही दिन में
याद ना आयें मेरी कभी
अच्छी-बुरी मेरी बातें कर
सहानुभूति…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on January 31, 2020 at 5:00pm — 2 Comments
संचालित कर दया करूणा, स्वार्थ पूर्ति का भाव नहीं
खुद को समर्पित तुझको कर दूँ,
इच्छाऐं मेरी खास नहीं ॥
डोली सजा तेरे दर पर आई, उगने वाली कोइ घास नहीं
हाथ उठाने की गलती ना करना,
नहीं सहुंगी वार कोई ॥
तेरे इशारों पर इत-उत डोलूँ, तूँ कोई सरकार नहीं
क्रोध करो मैं थर्र थर्र कांपू,
डरने वाली मैं नार नहीं ॥
तुम जालाओं शमां की महफिल, होके नशे में धुत कहीं
ढूँढ बहाने झूठ भी बोलो
इतना तुम पर ऐतबार…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on January 21, 2020 at 12:00pm — 2 Comments
ना मर्म का मेरे भान किसी को, लेकिन फिर भी जिंदा हूँ
ना औरत, ना पुरुष हूँ, कहने को मैं किन्नर हूँ|
सारा समाज धुत्कार मै खाती, जैसे समाज पे अभिशाप कोई
सोलह शृंगार कर हर दिन सजती, जैसे सुहागिन औरत हूँ |
मात-पिता भी कलंक समझते, बदनामी का उनकी कारण हूँ
दुख-दर्द भी ना कोई पूछता, जैसी उनकी ना मै कोई हूँ |
ना रोजी-रोटी का साधन कोई, मांग…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on January 15, 2020 at 11:56am — 3 Comments
अच्छा लगा तेरा प्रेम से मिलना
कुछ अपनी कही, कुछ मेरे सुनना
स्वार्थ से भरी इस दुनियाँ में
सभी के हित की बातें करना ||
वक़्त के संग में तेरा बदलना
हसमुखता को धारण करना
उड़ान भर खुली हवा में
सुंदर, ख्वाबो की माला बनुना ||
हौंसलों भर अपने उर में
भूल के बीती बात को आगे बढ़ना
याद आ जाए कोई भुला-बिसरा
झट से उसका हाल जानना ||
काम, क्रोध और…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on January 14, 2020 at 5:22pm — 4 Comments
भ्रम जाल ये कैसा फैला
खुद को खुद ही भूल चुका
ना वाणी पर संयम किसीका
उर में माया, द्वेष भरा |
कोह में अपना विनती भाव भुलाया
जो धैर्य भी से दूर हुआ
गरल इतना उर में भरा है कि
क्षमा, प्रेम करना ही भूल गया |
करुणा दया भी पास नहीं अब
पशुत्व के जैसा बन चुका
भलाई का दामन ओढ़ की जाने
पीठ पीछे चुरा घोप रहा |
आत्महित में अनेत्री बन गए जैसे
भयंकर बैर का…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on January 13, 2020 at 4:29pm — 4 Comments
क्या तुम्हारा जमीर ना जागता
क्यों घायल किसी को करते हो
पुलिस वाले भी अपने भाई-बंधु
पत्थर उनको क्यूँ मारते हो ||
विरोध करना, विरोध करो तुम
संविधान अधिकार ये देता है
उपद्रव ना मचाने की
हिदायत भी संविधान हमारा देता है ||
उपद्रव का ना मार्ग चुनो
शांति से विरोध करो
पुलिस करती रखवाली हमारी
उस पर बेवजह ना वार करो ||
दिन रात करती हमारी…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on December 26, 2019 at 3:21pm — 4 Comments
जाने कैसी विडम्बना जीवन की
जो इस दशा आ गिरी
ना कोई हमदर्द अपना
ना ही मेरा साथी कोई, ना किसी ने वेदना सुनी ||
आते-जाते सब देखते
मिलता ना अब तक बिरला कोई
मेरी सुने कभी अपनी सुनाये
आत्मीयता से मिले कभी ||
ना क्षुधा मुझे किसी के धन की
ना लोभ भी मन में कोई
कहीं पड़ा मिल जाता पाथेय
उससे अपना पेट भरी ||
आमूल तक मै टूट चुकी
महि मुझको कोष रही
व्रजपात…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on December 24, 2019 at 12:56pm — 1 Comment
दुनियाँ कहे मै पागल हूँ
मै कहता पागल नहीं, बस घायल हूँ
कभी व्यंग्य, कभी आक्षेप को
खुद पर रोज मैं सहता, अपनी व्यथा किसे सुनाऊ
कितनी चोटों से घायल हूँ
जीने की मै कोशिश करता, मै इस समाज की रंगत हूँ ||
क्यूँ पागल मै कैसे हुआ
पुंछने वाला ना हमदर्द मिला, जो मिला वो ताने कसता
देख उसे अब मै हँसता हूँ
पल भर में ये वक़्त बदलता
कौन जाने, तेरा आने वाला कल मै ही हूँ
कितनी चोटों से घायल हूँ ||
कोई प्रेम…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on December 6, 2019 at 4:30pm — 2 Comments
तरीफे उनकी क्यूँ लगती
जहर से भरी मीठी बातें
हर पिशुन/चुगलखोर की
झूठी बातें भी सच्ची लगती||
स्वार्थ की तह तक गिर
औछी हरकते करते रहते
भलाई का दामन औढकर
सहकर्मियों की बुराई वो करते||
दूसरों के काम में टांग अड़ाना
आदतों में शुमार उनकी
सहकर्मियों को आपस में भिड़ाकर
फिर निश्छल होने का ढोंग रचाते||
लाभ ना हो जाए कहीं किसी को
बुगले के जैसा ध्यान लगाते
एडी चोटी का ज़ोर…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on November 19, 2019 at 2:56pm — 5 Comments
एक फूल दो है, माली
धर्म-कर्म की यही कहानी
आत्मा-परमात्मा में भेद करा
दुनियांदारी में हमे फसा-फसाकर, जन्म-मरण का चक्कर कटवाती ||
अहंकार रूपी ये पुत्र हमारा, धन रूपी सा भाई,
मोह रूपी ये पुत्रवधू, आशा रूपी ये स्त्री प्यारी
आसक्ति लगा के इनमे
कर्म बंधन से ना मुक्ति पाई||
ममतामयी माँ रूप बना ये, हम पर खूब ये, प्यार लुटाता
बहन बन ये जब भी…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on November 8, 2019 at 11:52am — 5 Comments
चहेरे पर मुस्कान को रख
कुछ नया करने की चाहत रख
स्वयं पर दृढ़ विश्वास को रख
आगे बढ़ बस आगे बढ़ता चल ||
सहयोग बलिदान की भावना रख
जिम्मेदारियों ना तू डर
टीम वर्क पर विश्वास जता
हौंसले संग तू आगे बढ़ ||
नामुमकिन कुछ नहीं है जग में
मन में थोड़ा धैर्य रख
असफलताओ से सीख ले
मुकाम को अपने हासिल कर ||
कहने वाले कहते हैं
उनकी बातों पर ध्यान ना धर
कठिन पर अडचने…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on November 6, 2019 at 5:00pm — 2 Comments
घने-काले बादलों से निकल बूंद, जब
सपनों में, अनगिनत खो जाती है
कहाँ गिरूंगी कैसे गिरूंगी
सोच-सोच घबराती है ||
क्या गिरूंगी, फूल पराग में
या धुल संग मिल जाऊँगी
कहीं बनूँगी, ओस का मोती
और मनमोहकबन जाऊँगी ||
कहीं बनूँ, जीवन आधार मैं
जीव की प्यास बुझाऊंगी
या जा गिरूंगी धधकती ज्वाला
क्षणभर में ही जल जाऊँगी…
ContinueAdded by PHOOL SINGH on October 31, 2019 at 4:55pm — 6 Comments
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